सबसे सटीक ज्वालापुर टाइम्स न्यूज़…👍
ऋषिकेश: साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अपराध/यातायात जितेंद्र मेहरा (IPS) द्वारा दिनांक 25 जून 2025 को एम्स ऋषिकेश में एक विशेष साइबर अवेयरनेस पाठशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, विशेषकर मेडिकल क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ट्रेनी डॉक्टरों को साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूक करना और सुरक्षा उपायों से अवगत कराना था।
कार्यक्रम में लगभग 200 ट्रेनी डॉक्टर्स ने भाग लिया और साइबर अपराधों के नए तरीकों, उनके प्रभाव और उनसे बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
डिजिटल युग में बढ़ते साइबर खतरे और जागरूकता की आवश्यकता
SP जितेंद्र मेहरा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए बताया कि आज का युग डिजिटल है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधों का भी समानांतर विस्तार हो रहा है। लोग छोटी-छोटी लापरवाहियों के चलते बड़ी आर्थिक, मानसिक और सामाजिक क्षति का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में साइबर जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।
मुख्य चर्चा विषय: डिजिटल फ्रॉड के नए रूप और बचाव के उपाय
पाठशाला के दौरान निम्नलिखित साइबर अपराधों पर विशेष रूप से चर्चा की गई:
1. डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड – किसी व्यक्ति को डराकर पैसे ऐंठने का नया तरीका।
2. KYC अपडेट फ्रॉड – बैंक/वॉलेट KYC अपडेट के बहाने लोगों से OTP या पर्सनल डिटेल लेना।
3. OTP शेयरिंग धोखाधड़ी – किसी भी फर्जी कॉल के जरिए OTP लेकर अकाउंट से पैसे निकालना।
4. फेक ऐप्स और वेबसाइट्स के जरिए ठगी – असली जैसे दिखने वाले लिंक पर क्लिक करने से डेटा चोरी।
5. सोशल मीडिया हैकिंग और फिशिंग – फर्जी प्रोफाइल और मैसेज के जरिए पासवर्ड चुराना। SP मेहरा ने कहा कि यदि लोग सिर्फ तीन बातें याद रखें – OTP किसी के साथ शेयर न करें, अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, और किसी अनजान कॉल/मैसेज पर पर्सनल जानकारी न दें – तो 90% साइबर अपराध रोके जा सकते हैं।
राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 की जानकारी दी गई
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में बताया गया। SP मेहरा ने स्पष्ट किया कि जैसे ही किसी को साइबर ठगी का शिकार होने का आभास हो, तत्काल 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।उन्होंने यह भी बताया कि समय रहते शिकायत करने से साइबर अपराधियों के खातों को फ्रीज़ किया जा सकता है, जिससे पीड़ित की राशि बच सकती है।
एम्स ऋषिकेश में ट्रेनी डॉक्टरों ने की सक्रिय भागीदारी
इस साइबर अवेयरनेस कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश के ट्रेनी डॉक्टरों ने न सिर्फ भाग लिया, बल्कि कई सवाल भी पूछे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वे विषय के प्रति गंभीर और सजग हैं। SP मेहरा ने युवाओं से अपील की कि वे इस ज्ञान को अपने परिवार और मित्रों तक भी पहुँचाएं ताकि एक जागरूक समाज की नींव रखी जा सके।
पुलिस और मेडिकल सेक्टर की संयुक्त जिम्मेदारी
कार्यक्रम में यह भी चर्चा हुई कि साइबर अपराधों से निपटना केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को सजग रहने की जरूरत है। विशेष रूप से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग, जो कई बार संवेदनशील डेटा और डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़े होते हैं, उन्हें सतर्क रहना होगा।
निष्कर्ष: जागरूकता से ही मिलेगा बचाव एम्स ऋषिकेश में आयोजित यह साइबर अवेयरनेस पाठशाला निश्चित रूप से एक प्रेरक पहल रही। SP जितेंद्र मेहरा की स्पष्ट और व्यावहारिक समझाइश ने प्रतिभागियों को न केवल सावधान किया बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया। इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए यदि हर नागरिक डिजिटल सुरक्षा के बुनियादी नियमों को समझे और अपनाए, तो साइबर अपराधों पर लगाम लगाना संभव है।
यह भी पढ़ें 👉 शांतिभंग के आरोप में बहादराबाद पुलिस ने सात युवकों को किया गिरफ्तार, मौके पर मचा हंगामा…
उत्तराखंड की सभी ताज़ा और महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए ✨ ज्वालापुर टाइम्स न्यूज़ ✨ के📢 WHATSAPP GROUP से जुड़ें और अपडेट सबसे पहले पाएं
👉 यहां क्लिक करें एक और हर अपडेट आपकी उंगलियों पर!