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भीलवाड़ा,। राजस्थान के भीलवाड़ा में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहाँ एक 43 वर्षीय महिला की सरकारी एंबुलेंस में फंसकर मौत हो गई। महिला ने पहले फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया था, लेकिन बाद में अस्पताल पहुंचने पर एंबुलेंस का गेट जाम होने के कारण समय पर इलाज न मिलने से उसकी जान चली गई।
प्रतापनगर थाने के एसएचओ सुरजीत थोलिया के अनुसार
महिला ने रविवार शाम अपने घर में पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। परिवार ने उसे तुरंत फंदे से उतारा और अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस समय पर अस्पताल तो पहुँच गई, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उसका गेट 20 मिनट तक जाम रहा, जिसके चलते महिला को समय पर इलाज नहीं मिल पाया और उसकी मौत हो गई।
महिला के परिजनों ने एंबुलेंस के मेडिकल स्टाफ पर लापरवाही के कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं,
जिनकी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। परिजनों के अनुसार, महिला के आत्महत्या के प्रयास का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। महिला के पति और दो बच्चों ने उसे फंदे पर झूलते हुए देखा था और तुरंत उसे भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल ले गए थे।
SHO एसएचओ ने बताया कि महिला को जब अस्पताल लाया जा रहा था, तब वह जीवित थी। लेकिन अस्पताल पहुँचने के बाद 20 मिनट तक एंबुलेंस में बंद रहने के दौरान ही उसकी मौत हो गई। महिला के परिवार और स्टाफ के उतरने के बाद, पीडि़ता के स्ट्रेचर को बाहर निकालने से पहले ही गेट में खराबी आ गई और वह लॉक हो गया।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, 20 मिनट बाद स्टाफ और महिला के बड़े बेटे ने खिडक़ी तोडक़र उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।पीडि़ता के बेटे ने मीडिया को बताया कि एंबुलेंस का ड्राइवर शुरुआत में दो किलोमीटर तक गलत दिशा में एंबुलेंस ले गया, जिससे काफी समय बर्बाद हो गया।
उसने यह भी आरोप लगाया कि एंबुलेंस के सिलेंडर में पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं थी और बार-बार कहने पर भी एंबुलेंस स्टाफ ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बेटे ने कहा, इन सबके बावजूद हमने अस्पताल जल्दी पहुंचने की कोशिश की, लेकिन गेट बंद हो जाने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल प्रबंधन ने मेरी मां को मार डाला।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि एंबुलेंस को जब्त कर लिया गया है और परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है। वहीं, भीलवाड़ा के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सीपी गोस्वामी ने कहा कि अधिक भीड़ की वजह से गेट में खराबी आ गई थी और स्टाफ पूरी तरह प्रशिक्षित था। उन्होंने पीडि़त परिवार को खिडक़ी तोडऩे की बजाय थोड़ा और धैर्य रखने की बात कही और सिलेंडर में ऑक्सीजन कम होने के आरोपों को खारिज कर दिया।
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