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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
हरिद्वार जिले में एक और सरकारी कर्मचारी पर गाज गिरी है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने शासकीय कार्यों में लापरवाही और नकारात्मक रवैया अपनाने के आरोप में वरिष्ठ सहायक महेश कुमार सोनी को निलंबित कर दिया है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
हरिद्वार प्रशासन में अनुशासनहीनता पर सख्ती
पिछले कुछ महीनों से हरिद्वार प्रशासन शासकीय कार्यों में ढिलाई और अनुशासनहीनता पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में कई विभागीय अधिकारियों को भी स्पष्टीकरण मांगे जाने और निलंबन की कार्यवाही झेलनी पड़ी थी।
डीएम मयूर दीक्षित ने पहले ही सभी सरकारी कर्मचारियों को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि शासन और जनहित से जुड़े कार्यों में लापरवाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
घटना
जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित ने उप जिलाधिकारी (एसडीएम) हरिद्वार द्वारा प्रेषित रिपोर्ट में उल्लेखित तथ्यों के आधार पर यह कार्रवाई की।
रिपोर्ट के अनुसार, श्री महेश कुमार सोनी, जो वरिष्ठ सहायक (सहायक वाणिज्यिक विभाग, तहसील हरिद्वार) के पद पर कार्यरत थे, उन्होंने अपने शासकीय दायित्वों में लापरवाही, उदासीनता और नकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित किया।
इसके अलावा, तहसीलदार हरिद्वार द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण पत्र का भी उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया, जिससे विभागीय अनुशासन का उल्लंघन माना गया।
इन तथ्यों को देखते हुए, जिलाधिकारी ने उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबन के आदेश जारी किए।
निलंबन अवधि में नियम और प्रावधान:
निलंबन अवधि में श्री सोनी को वित्तीय नियम संग्रह खंड-2 से 4 के मूल नियम-53 के तहत जीवन निर्वाह भत्ता (Subsistence Allowance) दिया जाएगा, जो उनके आधे वेतन के बराबर होगा।
यदि उन्हें पूर्व में मंहगाई भत्ते का लाभ नहीं मिला था, तो निलंबन अवधि में यह देय नहीं होगा।
इसके अलावा, अन्य प्रतिकर भत्ते (Compensatory Allowances) तभी दिए जाएंगे, जब यह प्रमाणित किया जाए कि उनका व्यय वास्तव में किया जा रहा है।
साथ ही, उन्हें यह प्रमाण पत्र देना होगा कि वे निलंबन के दौरान किसी अन्य नौकरी, व्यापार या व्यवसाय में संलग्न नहीं हैं।
इस कार्रवाई से जिला प्रशासन के अन्य कर्मचारियों में सतर्कता का माहौल बन गया है। सूत्रों के अनुसार, कई विभागों में अब फाइलों के निस्तारण की गति तेज़ कर दी गई है ताकि किसी तरह की लापरवाही की शिकायत जिलाधिकारी तक न पहुँचे।
स्थानीय प्रशासनिक तंत्र में यह सस्पेंशन एक “संदेशात्मक कार्रवाई” के रूप में देखा जा रहा है, जो अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
हरिद्वार प्रशासन की यह कार्रवाई यह संकेत देती है कि शासन व्यवस्था में लापरवाही और उदासीनता अब किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की इस सख्ती से अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश गया है कि जवाबदेही और पारदर्शिता अब प्रशासनिक कार्यसंस्कृति का हिस्सा बन चुकी है।
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