: हरिद्वार में आपदा प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण करती एनडीएमए टीम।: हरिद्वार में आपदा प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण करती एनडीएमए टीम।

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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)

हरिद्वार में मानसून काल के दौरान आई बाढ़ और भूस्खलन से हुई क्षति का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की पोस्ट डिज़ास्टर नीड्स असेसमेंट (PDNA) टीम ने रविवार को सर्वेक्षण किया। टीम ने आपदा प्रभावित इलाकों का स्थलीय निरीक्षण किया और अधिकारियों को दीर्घकालिक समाधान के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए।

हर साल मानसून में आपदा की चुनौती

उत्तराखंड का हरिद्वार जिला भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। हर साल मानसून के दौरान यहां नदियों का जलस्तर बढ़ने, भूस्खलन और भू-कटाव की घटनाएं सामने आती हैं। इससे न केवल आम नागरिकों के जीवन पर खतरा मंडराता है बल्कि सड़क, पुल, बिजली, पेयजल और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी प्रभावित होती हैं।

बैठक और निरीक्षण

रविवार को सीबीआरआई के चीफ साइंटिस्ट डॉ. अजय चौरसिया के नेतृत्व में NDMA की टीम ने जिला आपदा कार्यालय, हरिद्वार में बैठक आयोजित की।

  • बैठक का संचालन एचआरडीए सचिव मनीष कुमार सिंह ने किया और जनपद की सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक स्थिति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
  • बैठक में मानसून 2025 में हुई क्षति की जानकारी दी गई, जिसमें जनहानि, पशुहानि और भवनों को हुए नुकसान का ब्यौरा शामिल था।
  • इसके अलावा, टीम ने भीमगोड़ा पुल और मंशा देवी क्षेत्र में बार-बार हो रहे भूस्खलन व मलवे की समस्या का स्थलीय निरीक्षण किया।

अधिकारियों के निर्देश और सुझाव

बैठक में डॉ. अजय चौरसिया ने कहा कि सभी विभाग आपसी समन्वय से काम करें और केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करें। उन्होंने जोर देते हुए कहा:

  • बाढ़ और भू-कटाव रोकने के लिए स्थायी समाधान (Long Term Plan) बनाया जाए।
  • नदियों के तटबंधों से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल किए जाएं।
  • वॉश आउट सड़कों के लिए स्थायी मरम्मत योजना तैयार की जाए ताकि भविष्य में मार्ग बाधित न हों।
  • डेटा और प्रस्ताव तैयार करते समय सटीकता और श्रेणीवार विवरण दिया जाए।
  • आपदा संचार के लिए Plan B पर भी कार्य किया जाए।
  • सीवर, ड्रेनेज और एसटीपी निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट्स को भी प्राथमिकता दी जाए।

स्थानीय असर: जनता और प्रशासन पर प्रभाव

हरिद्वार में बार-बार आने वाली बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं से लोग परेशान हैं।

  • स्थानीय व्यापार प्रभावित होते हैं क्योंकि सड़कों के बाधित होने से माल की सप्लाई रुक जाती है।
  • शिक्षा संस्थानों पर असर पड़ता है क्योंकि मार्ग बाधित होने से छात्र स्कूल-कॉलेज नहीं पहुंच पाते।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और दवाओं की सप्लाई भी प्रभावित होती है।

स्थानीय नागरिकों ने उम्मीद जताई है कि यदि सरकार और विभाग स्थायी योजनाएं बनाते हैं तो भविष्य में इस तरह की समस्याओं से राहत मिलेगी।

पुरानी घटनाओं से तुलना

  • 2023 और 2024 के मानसून में हरिद्वार में कितनी सड़कें बाधित हुई थीं, इस बारे में विशिष्ट जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि मानसून के दौरान सड़कों के बंद होने की घटनाएं आमतौर पर दैनिक या साप्ताहिक अपडेट में रिपोर्ट की जाती हैं, न कि एक साथ। सटीक आंकड़े प्राप्त करने के लिए, आपको उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) या जिला प्रशासन के पास उपलब्ध आधिकारिक रिपोर्टों की जांच करनी होगी। – 2023 और 2024 के मानसून में हरिद्वार में कितनी सड़कें बाधित हुई थीं।
  • यह स्पष्ट है कि भारत में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं एक गंभीर समस्या हैं, जिनसे हर साल जान-माल का भारी नुकसान होता है। केवल अस्थायी मरम्मत से इन समस्याओं का समाधान संभव नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक और प्रभावी समाधानों की आवश्यकता है।] – पिछले पांच वर्षों में बाढ़ और भूस्खलन से हुई कुल जनहानि और पशुहानि का आंकड़ा।
    इन आंकड़ों से साफ है कि हर साल हालात बिगड़ते जा रहे हैं और केवल अस्थायी मरम्मत से समस्या का हल संभव नहीं है।

एनडीएमए टीम का हरिद्वार दौरा इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में दीर्घकालिक योजनाओं पर काम होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विभागीय तालमेल और सही योजना बनी तो न केवल जनहानि कम होगी बल्कि बुनियादी ढांचे की सुरक्षा भी संभव होगी। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि आपदा की स्थिति में अफवाहों से बचें और आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें।

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By ATHAR

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