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पौड़ी । ग्रामोत्थान परियोजना के तहत पौड़ी जिले के खिर्सू ब्लॉक के भूमि स्वायत्त सहकारिता चमराड़ा की महिलाएं गाय के गोबर से धूपबत्ती, सामब्राणी कप, दीये और मूर्तियां तैयार कर रही हैं। इस पहल से समूह और गो-पालकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
इको-फ्रेंडली उत्पादों से पर्यावरण को लाभ
इन उत्पादों की खासियत यह है कि ये इको-फ्रेंडली हैं, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। चमराड़ा और आसपास के क्षेत्रों में डेयरी उत्पादन अधिक होने के कारण गोबर भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। इसी को देखते हुए ग्रामोत्थान परियोजना के तहत यहां हिलांस देशी गाय गोबर उत्पाद यूनिट की स्थापना की गई।
यूनिट में आधुनिक मशीनों की सुविधा
इस यूनिट में गोबर पीसने के लिए पल्वराइजर मशीन, मिक्सचर मशीन, ऑटोमेटिक सामब्राणी कप मेकिंग मशीन, ऑटोमेटिक धूपकोन मेकिंग मशीन, कम्प्रेशर मशीन, दिया मेकिंग मशीन और मूर्ति निर्माण के लिए मोल्ड उपलब्ध कराए गए हैं। इसका संचालन भूमि स्वायत्त सहकारिता चमराड़ा द्वारा किया जा रहा है, जिसमें 64 समूह, 9 ग्राम संगठन और 385 सदस्य शामिल हैं।
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
ग्रामोत्थान के जिला परियोजना प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि गोबर की उपलब्धता को देखते हुए इसे 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जा रहा है। साथ ही, यूनिट में काम करने वाली महिलाओं को 300 रुपये प्रतिदिन की दर से रोजगार भी मिल रहा है।

बड़ा व्यापारिक लक्ष्य फिलहाल सामब्राणी कप, धूपबत्ती और दीयों का निर्माण किया जा रहा है, और महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है। इस साल दीपावली और नवरात्रि के दौरान 8 से 10 लाख रुपये का व्यवसाय करने का लक्ष्य रखा गया है।
पर्यावरण हितैषी पहल मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने बताया कि गोबर से बने ये उत्पाद प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। ये रासायनिक धूपबत्तियों की तुलना में वायु प्रदूषण को कम करने में मददगार हैं। इस पहल से गांव की महिलाओं को रोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है। भविष्य में इस प्रोजेक्ट को अन्य स्थानों पर भी विस्तारित करने की योजना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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