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बाबा अल्लूशन पीर का उर्स शुरू, गाँव में उमड़ा जनसैलाब
जमालपुर, 13 सितंबर 2025।
देवभूमि की पावन वादियों में आस्था और एकता का प्रतीक बाबा अल्लूशन पीर का वार्षिक उर्स इस बार भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। जमालपुर गाँव में आयोजित इस धार्मिक मेले में दूर-दराज़ के क्षेत्रों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं। गाँव की गलियाँ रोशनी और रंग-बिरंगी सजावट से सजी हुई हैं। हर तरफ़ ढोल-नगाड़ों और चादर पेश करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दे रही है। पूरा गाँव एक उत्सव स्थल में तब्दील हो गया है।
इस साल के उर्स में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने भी विशेष इंतज़ाम किए हैं। पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक मिलकर भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं। साथ ही, गाँव के लोगों ने स्वयं मिलकर भोजन, पानी, रोशनी और साफ-सफाई की व्यवस्था की है। श्रद्धालु बताते हैं कि यह केवल प्रशासन नहीं बल्कि पूरा गाँव मिलकर आयोजन को सफल बनाता है।

गाँव में उत्सव जैसा माहौल
जमालपुर गाँव के निवासी बताते हैं कि जब उर्स का आयोजन होता है तो पूरा गाँव उत्सव में बदल जाता है।
हर घर से लोग मिलकर मेले की तैयारी में सहयोग करते हैं। गाँव की महिलाएँ विशेष पकवान बनाती हैं, बच्चे उर्स के दौरान चलने वाले झूले और दुकानों का आनंद लेते हैं और बुज़ुर्ग बाबा अल्लूशन पीर की दरगाह पर इबादत में समय बिताते हैं।
दूर-दराज़ से आए श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा अल्लूशन पीर की दरगाह पर आने से उनकी मुरादें पूरी होती हैं। कोई परिवारिक सुख-शांति की दुआ मांगता है तो कोई व्यापार और रोज़गार में उन्नति की। कई श्रद्धालु तो पैदल यात्रा करके भी यहाँ पहुँचते हैं। उनका कहना है कि यह यात्रा थकान नहीं बल्कि आत्मिक शांति और सुकून देती है। बाबा अल्लूशन पीर का उर्स धार्मिक आयोजन से बढ़कर सामाजिक एकता का उत्सव बन चुका है। यहाँ हर धर्म और समुदाय के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, दुआ करते हैं और मिलकर आयोजन को सफल बनाते हैं। यही कारण है कि यह उर्स केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का भी प्रतीक माना जाता है।

उर्स का आयोजन केवल आस्था तक सीमित नहीं है, इसका गाँव की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मेले में लगी दुकानों से स्थानीय व्यापारी और कारीगरों को रोज़गार मिलता है। छोटे-छोटे हस्तशिल्प, खिलौने, मिठाई और खाने-पीने के स्टॉल इस आयोजन को और भी आकर्षक बना देते हैं। साथ ही, कव्वाली और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मंच मिलता है।
परंपरा और आस्था का संगम
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाबा अल्लूशन पीर का उर्स केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का हिस्सा है। यहाँ हर धर्म और जाति के लोग एक साथ इकट्ठा होकर बाबा के दर पर हाज़िरी लगाते हैं। गाँव के बुज़ुर्ग बताते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से हर साल यह उर्स बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता रहा है। यह आयोजन गाँव की एकता और भाईचारे की मिसाल बन चुका है।
उर्स के अवसर पर कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें कव्वाली, चादर पेशी, धार्मिक वाचन और दुआ कार्यक्रम शामिल हैं। आसपास के इलाकों से आए कव्वाल अपनी सुरीली आवाज़ से वातावरण को और अधिक आध्यात्मिक बना रहे हैं। इसके अलावा, बच्चों और युवाओं के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं। लोग कहते हैं कि यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक मेल-जोल और सांस्कृतिक परंपरा का भी प्रतीक है।
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