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थराली क्षेत्र में आपदा का संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार को जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने आपदा प्रभावित इलाकों का संयुक्त निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने राडीबगड़ और कोटदीप हॉस्पिटल मोहल्ला का जायजा लिया, जहाँ बड़े पैमाने पर दरारें और भूस्खलन की स्थिति देखने को मिली। पहाड़ों से लटकी चट्टानों और जमीन पर आई गहरी दरारों ने ग्रामीणों की चिंता और अधिक बढ़ा दी है।
निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि इन भूस्खलन स्थलों का समाधान केवल तकनीकी टीम की रिपोर्ट के बाद ही संभव है। इसी कारण उन्होंने सिंचाई विभाग, भूवैज्ञानिकों, पीएमजीएसवाई और लोक निर्माण विभाग को मिलकर संयुक्त सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए, ताकि वास्तविक स्थिति का आकलन कर आगे की ठोस कार्यवाही की जा सके।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन के सामने अपनी समस्याएँ रखते हुए बताया कि आपदा के कारण उन्हें पानी और बिजली की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर डीएम ने अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत और जल संस्थान के जेई को तत्काल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
प्रभावित क्षेत्र और खतरे की स्थिति
थराली-डूंगरी पक्की सड़क पर गहरी दरारें आ चुकी हैं। सड़क धंसने का खतरा बना हुआ है, जिसके कारण यातायात प्रभावित हो रहा है। वहीं, पहाड़ों पर लटके बड़े पत्थर कभी भी गिर सकते हैं, जिससे नीचे बसे मकानों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। जिलाधिकारी ने इन मकानों में रह रहे परिवारों से सुरक्षित स्थानों या राहत केंद्रों में शिफ्ट होने की अपील की।
उन्होंने पुलिस प्रशासन को भी निर्देश दिए कि बारिश की स्थिति में बैरिकेडिंग कर यातायात रोक दिया जाए, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
प्रशासन की तैयारी और राहत उपाय
जिलाधिकारी ने स्थानीय अस्पताल का भी निरीक्षण किया और चिकित्सकों को आपदा के समय पूर्ण तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद करेगा।
निरीक्षण के दौरान अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश, परियोजना निदेशक आनंद सिंह भाकुनी, मुख्य चिकित्साधिकारी अभिषेक गुप्ता, पुलिस उपाधीक्षक अमित कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
ग्रामीणों का आक्रोश और उम्मीद
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई दिनों से वे आपदा के साए में जी रहे हैं। मकानों में दरारें आ चुकी हैं और खेत मलबे से भर गए हैं। इस कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन से उनकी मुख्य मांग है कि जल्द से जल्द राहत और पुनर्वास की ठोस योजना बनाई जाए।
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