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लक्सर, हरिद्वार | रिपोर्टर: फरमान खान
हरिद्वार जनपद के लक्सर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले अकोढा कला गांव में पिछले कई दिनों से एक भयावह मगरमच्छ ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बना हुआ था। यह मगरमच्छ कभी खेतों के पास, तो कभी स्कूल के समीप बने तालाब से बाहर निकलकर ग्रामीणों को दहशत में डाल देता था।
हालात इतने खौफनाक हो गए थे कि गांव के बच्चे स्कूल जाने से डरने लगे, महिलाएं खेतों और तालाब के आसपास काम करने से बचने लगीं। लेकिन मंगलवार को वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को सफलतापूर्वक पकड़ कर एक बड़ी राहत दिलाई
कैसे हुआ मगरमच्छ का रेस्क्यू ऑपरेशन?
गांव से लगातार मिल रही शिकायतों और डर की खबरों को देखते हुए लक्सर रेंज वन विभाग की टीम ने तालाब के चारों ओर पिंजरे और जाल बिछा दिए थे। करीब तीन दिन की लगातार निगरानी और इंतजार के बाद आखिरकार मगरमच्छ को जाल में फंसा लिया गया।
वन क्षेत्र अधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी ने पुष्टि की कि यह एक विशालकाय मगरमच्छ था, जिसकी लंबाई लगभग 6 फीट के करीब थी। वनकर्मी गुरजंट सिंह और शिवकुमार गुप्ता की मदद से इस मगरमच्छ को पकड़ कर सुरक्षित रूप से पास की नदी में छोड़ दिया गया।
ग्रामीणों की आंखों में राहत, दिलों में डर अभी बाकी
गांव के लोगों ने वन विभाग की कार्रवाई की सराहना की, लेकिन उनका कहना है कि जब तक बाकी संभावित मगरमच्छों की तलाश पूरी नहीं होती, तब तक डर बना रहेगा। तालाब की गहराई और आकार को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि तालाब में और भी मगरमच्छ छिपे हो सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने तालाब के अन्य हिस्सों में और पिंजरे लगाए हैं। अब तक का रेस्क्यू सिर्फ पहला कदम माना जा रहा है।
क्यों बनी यह स्थिति भयावह?
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ समय पहले आई बाढ़ और भारी बारिश के चलते पास के नदी और नालों से मगरमच्छ इस तालाब में आ गए होंगे। चूंकि तालाब गांव के बीचोबीच है और आसपास कई घर व स्कूल हैं, इस वजह से यह स्थिति अत्यंत खतरनाक और संवेदनशील बन चुकी थी।
स्कूल जाने से डरने लगे थे बच्चे, महिलाएं छोड़ रहीं थीं खेतों का काम
तालाब के पास स्थित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने बताया कि बच्चों की उपस्थिति में भारी गिरावट आई थी, क्योंकि अभिभावक उन्हें भेजने से डरते थे। स्कूल के रास्ते में ही तालाब आता है और मगरमच्छ की लगातार गतिविधियों ने बच्चों को मानसिक रूप से भी प्रभावित किया।
वन विभाग की अपील: तालाब के पास न जाएं, सतर्क रहें
वन अधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी ने ग्रामीणों से सतर्कता बरतने और तालाब के किनारे न जाने की अपील की है। जब तक रेस्क्यू अभियान पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, किसी भी व्यक्ति को तालाब के पास जाने की अनुमति नहीं दी गई है।
मगरमच्छ के रेस्क्यू ऑपरेशन ने एक बड़ा खतरा टाला – लेकिन खतरा अभी टला नहीं है
वन विभाग की इस त्वरित कार्रवाई से ग्रामीणों को फिलहाल राहत जरूर मिली है, लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस तालाब की सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान निकालेगा? क्या अगली बारिश में फिर से ऐसा ही संकट खड़ा होगा? अकोढा कला गांव में हुआ यह मगरमच्छ रेस्क्यू ऑपरेशन एक मिसाल है कि जब प्रशासन और विभाग सक्रिय होते हैं, तो बड़ी से बड़ी आपदा को भी रोका जा सकता है।
ग्रामीणों की सजगता और मीडिया की सतर्क रिपोर्टिंग (जैसे इस घटना को फरमान खान द्वारा प्रमुखता से उठाया गया) ने इस कार्रवाई को संभव बनाया। यह खबर न सिर्फ गांव की हकीकत बताती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदाएं और वन्यजीवों की मौजूदगी कितनी जानलेवा हो सकती हैं, अगर समय पर कदम न उठाए जाएं।
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