किमोठा गांव में भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र और ग्रामीणों की प्रशासन से सहायता की मांगकिमोठा गांव में भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र और ग्रामीणों की प्रशासन से सहायता की मांग

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उत्तराखंड के चमोली जिले का संस्कृत ग्राम किमोठा इन दिनों प्रकृति की गंभीर आपदा से जूझ रहा है। गांव के अत्री तोक (Atri Tok) नामक हिस्से में लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, बल्कि ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल भी व्याप्त है। पिछले कुछ दिनों से जारी इस भूस्खलन ने अब तक कई घरों और खेतों को प्रभावित किया है। स्थिति इतनी भयावह है कि लोग घरों से बाहर रात गुजारने को मजबूर हैं।

डीएम से मिलकर ग्रामीणों ने जताई चिंता

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए गांव के एक प्रतिनिधिमंडल ने चमोली जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल में शामिल ब्रह्मचारी हरिकिशन किमोठी ने बताया कि गांव के अत्री तोक में लगातार हो रहे भू-स्खलन के चलते जन-धन की हानि का खतरा बना हुआ है। गांव की स्थिति से जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए ग्रामीणों ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने, भू-स्खलन का वैज्ञानिक ढंग से ट्रीटमेंट कराने और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने की मांग की।

घटिया सड़क निर्माण बना चिंता का विषय

ग्रामीणों ने किमोठा-तोणजी मोटर मार्ग के निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सड़क निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है और उचित ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण पानी की निकासी अवरुद्ध हो रही है, जिससे भूस्खलन की स्थिति और भी भयावह होती जा रही है।

सड़क के किनारे की ढलानों पर कोई सुरक्षात्मक दीवार नहीं बनाई गई है। इससे सड़क भी धंसने लगी है और गांव की ओर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि प्रभावित ग्रामीणों को अब तक न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही पुनर्वास की दिशा में कोई कार्य शुरू किया गया है।

मौके पर मौजूद ग्रामीण और पूर्व प्रधान

जिलाधिकारी से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में पूर्व प्रधान मधुसूदन किमोठी, दिगपाल सिंह नेगी, कमल किशोर किमोठी, शिवलाल, अंकित किमोठी, संदीप किमोठी, रोशन लाल, धीरेन्द्र लाल और एडवोकेट विनोद लाल जैसे ग्रामीण शामिल रहे। सभी ने एक सुर में प्रशासन से आग्रह किया कि यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया डीएम डॉ. संदीप तिवारी ने ग्रामीणों की बात गंभीरता से सुनी और मौके पर टीम भेजने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि जल्द ही भूगर्भीय विशेषज्ञों की टीम भेजकर इलाके का निरीक्षण कराया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रभावित परिवारों के लिए राहत व पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।

ग्रामीणों की मांगें

1. भूस्खलन रोकने के लिए ट्रीटमेंट – वैज्ञानिक तरीके से रोकथाम कार्य जैसे कि रिटेनिंग वॉल, वाटर चैनल आदि।

2. प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा – जिनके घर और खेत प्रभावित हुए हैं।

3. सड़क निर्माण में गुणवत्ता की जांच – घटिया सामग्री के उपयोग की जांच हो।

4. राहत कैंप और तात्कालिक निवास की व्यवस्था – तत्काल सुरक्षित स्थान पर अस्थायी निवास।

5. स्थायी पुनर्वास नीति लागू हो – ताकि बार-बार होने वाली इस प्राकृतिक आपदा से निजात मिल सके।

चमोली के किमोठा गांव का अत्री तोक आज एक प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर खड़ा है। ग्रामीणों की शिकायतें और प्रशासन से की गई मांगें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अभी भी पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त तैयारी नहीं है। यदि समय रहते वैज्ञानिक और रणनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र भी उन इलाकों की सूची में शामिल हो सकता है, जहां हर साल भूस्खलन जनजीवन को तबाह करता है।

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By Aman

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