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गोरखपुर। ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किए गए शोध ने बड़ी राहत की खबर दी है। शोध के अनुसार, फरवरी के बाद इस वायरस का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाएगा। यह शोध बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के बाल रोग विभाग में मई 2022 से दिसंबर 2024 तक किया गया।
वायरस का प्रभाव और खतरा
HMPV वायरस मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों, कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों और गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को प्रभावित करता है।

हालांकि, शोध के दौरान पाया गया कि संक्रमित बच्चों में केवल 1 प्रतिशत को ही गंभीर जटिलता का सामना करना पड़ा। इन जटिलताओं को ऑक्सीजन थेरेपी, संतुलित आहार और लक्षण आधारित उपचार से प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया।
शोध के आंकड़े

शोध के दौरान, 943 बच्चों पर अध्ययन किया गया, जिन्हें एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (ARI) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (SARI) की समस्या थी। इन बच्चों में पाया गया कि केवल 1.38 प्रतिशत बच्चों के श्वसन तंत्र में संक्रमण का कारण HMPV था। अन्य बच्चों में संक्रमण के लिए दूसरे वायरस जिम्मेदार थे।
लक्षण और उपचार
HMPV वायरस से संक्रमित बच्चों में सामान्यतः बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई और गले में खराश जैसे लक्षण पाए गए।

शोध में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है। सपोर्टिव थेरेपी, जैसे ऑक्सीजन थेरेपी और लक्षण आधारित उपचार, इस संक्रमण को नियंत्रित करने में मददगार साबित हुए।
शोध के नतीजे

ICMR के इस शोध ने स्पष्ट किया है कि HMPV वायरस का प्रभाव फरवरी के बाद धीमा हो जाएगा। इसके साथ ही यह भी पता चला कि HMPV संक्रमण से गंभीर जटिलता का जोखिम बेहद कम है।
निष्कर्ष
HMPV वायरस से संबंधित इस शोध ने अभिभावकों को राहत की खबर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को संतुलित आहार, साफ-सफाई और नियमित स्वास्थ्य जांच के माध्यम से इस वायरस से सुरक्षित रखा जा सकता है।
(रिपोर्ट: बाल रोग विभाग, बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर)