रुड़की स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में हरिद्वार पुलिस और सीपीयू टीम द्वारा स्कूल वाहन चालकों को यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा की जानकारी देते अधिकारी।रुड़की स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में हरिद्वार पुलिस और सीपीयू टीम द्वारा स्कूल वाहन चालकों को यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा की जानकारी देते अधिकारी।

रिपोर्ट जतिन

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हरिद्वार पुलिस की यातायात शाखा लगातार सड़क सुरक्षा को लेकर नई-नई पहल कर रही है, ताकि आम नागरिकों और स्कूली बच्चों को सुरक्षित यात्रा का वातावरण मिल सके। इसी कड़ी में 19 सितंबर 2025 को रुड़की स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल 2 में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूल वाहनों के चालकों, रिक्शा चालकों, अध्यापकगण और स्कूल स्टाफ को यातायात नियमों की जानकारी देना और उन्हें सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाना था। यातायात पुलिस और सीपीयू रुड़की की संयुक्त टीम ने इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों को कई महत्वपूर्ण सुझाव और निर्देश दिए, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

इस जागरूकता कार्यक्रम का नेतृत्व यातायात पुलिस रुड़की के अपर उपनिरीक्षक रामवीर सिंह, अपर उपनिरीक्षक सीपीयू मनोज शर्मा और उनकी टीम ने किया। टीम ने कार्यक्रम की शुरुआत सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाते हुए की। उन्होंने बताया कि सड़क पर वाहन चलाते समय हर चालक को सबसे पहले अपनी और दूसरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। वाहन चलाते समय लापरवाही, ओवरस्पीडिंग और मोबाइल फोन का इस्तेमाल जैसे गलत आदतें दुर्घटनाओं को न्योता देती हैं। इसलिए वाहन चालक का सतर्क और जिम्मेदार रहना बेहद जरूरी है।

कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों ने स्कूल वाहन चालकों को विस्तार से समझाया कि स्कूली बच्चों को लाते-ले जाते समय उन्हें किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाहन में चढ़ते और उतरते समय बच्चों को सुरक्षित तरीके से बैठाने और उतारने की जिम्मेदारी पूरी तरह चालक और स्टाफ की होती है। इसके अलावा सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, बीमा और फिटनेस प्रमाणपत्र, हमेशा वाहन में मौजूद होने चाहिए। टीम ने चालकों को कम स्पीड में वाहन चलाने की सलाह देते हुए कहा कि स्कूल क्षेत्रों में गति सीमा का पालन करना बच्चों की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

पुलिस अधिकारियों ने इस मौके पर गुड सेमिनेटर, ट्रैफिक साइन, सिग्नल, और गोल्डन आवर जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि गुड सेमिनेटर का मतलब है सड़क पर किसी दुर्घटना या परेशानी में फंसे व्यक्ति की मदद करना। गोल्डन आवर यानी दुर्घटना के बाद का पहला घंटा बेहद अहम होता है क्योंकि इस समय पर त्वरित मदद मिलने से पीड़ित की जान बचाई जा सकती है। पुलिस ने उपस्थित लोगों को समझाया कि दुर्घटना की स्थिति में तुरंत एंबुलेंस और पुलिस को सूचित करें ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके।

टीम ने वाहन चालकों को ट्रैफिक साइन और सिग्नल की पहचान करने और उनका पालन करने की अहमियत समझाई। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग जल्दबाजी या लापरवाही में ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हैं, जिससे गंभीर हादसे हो सकते हैं। नियमों का पालन करने से न केवल चालक की बल्कि अन्य यात्रियों और पैदल चलने वालों की जान भी सुरक्षित रहती है।

आर्मी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम में उपस्थित रहते हुए यातायात पुलिस की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के जागरूकता अभियान न केवल स्कूल वाहन चालकों बल्कि स्टाफ और बच्चों को भी सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारियों के प्रति सजग करते हैं। प्रधानाचार्य ने सभी चालकों और स्टाफ को निर्देश दिया कि वे पुलिस द्वारा बताई गई सभी सावधानियों और नियमों का पालन करें। उन्होंने यातायात पुलिस और सीपीयू टीम का आभार व्यक्त किया और भरोसा दिलाया कि स्कूल प्रबंधन यातायात नियमों को पूरी तरह लागू करेगा।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूल वाहन चालकों के लिए कुछ विशेष नियम लागू होते हैं। जैसे कि गाड़ी में फर्स्ट एड किट का होना, सीट बेल्ट का उपयोग, बच्चों की संख्या से अधिक छात्रों को वाहन में न बैठाना, और समय पर वाहन की सर्विसिंग करवाना। इन नियमों का पालन न करने पर चालकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यातायात पुलिस ने कार्यक्रम के अंत में सभी चालकों से अपील की कि वे सड़क पर चलते समय हमेशा धैर्य और अनुशासन बनाए रखें। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा का पालन केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि हर व्यक्ति यातायात नियमों का पालन करेगा तो सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में बड़ी कमी आएगी और कई निर्दोष जानें बचाई जा सकेंगी।

हरिद्वार पुलिस की यह पहल एक बार फिर साबित करती है कि समाज की सुरक्षा में पुलिस की सक्रिय भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। स्कूल वाहन चालकों के लिए इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम न केवल दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करते हैं बल्कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति समाज को जिम्मेदार बनाते हैं। पुलिस टीम ने यह भी भरोसा दिलाया कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी जारी रहेंगे ताकि हर नागरिक सड़क सुरक्षा के महत्व को समझ सके और आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित वातावरण मिल सके।

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By ATHAR

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