लक्सर ( ज्वालापुर टाइम्स न्यूज़ )। शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और जीवन कौशल का भी स्रोत है। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज, रायसी के शिक्षा विभाग द्वारा “तनाव प्रबंधन में शिक्षा की भूमिका” विषय पर एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. संजय कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, पावकी देवी रहे, जिन्होंने इस ज्वलंत विषय पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत रूप से माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। यह दीप प्रज्वलन कॉलेज के सचिव डॉ. हर्ष कुमार दौलत एवं प्राचार्य डॉ. अजीत राव के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ।
डॉ. संजय कुमार का स्वागत शिक्षा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. के.पी. तोमर और श्री कुलदीप सिंह टंडवाल द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया।
तनाव प्रबंधन के आयाम और शिक्षा की भूमिका
अपने व्याख्यान में डॉ. संजय कुमार ने बताया कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में शिक्षा केवल डिग्री प्राप्ति तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह आवश्यक है कि विद्यार्थी मानसिक रूप से सशक्त बनें। उन्होंने तनाव के कारणों, प्रभावों और समाधान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से दृढ़ बनाता है।

उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि विद्यार्थियों को छोटी-छोटी बातों से तनाव न हो, इसके लिए शैक्षिक प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन से जुड़े विषयों को शामिल किया जाना चाहिए।
शिक्षकों की भूमिका और सहभागी विचार
डॉ. के.पी. तोमर ने भी कार्यक्रम में सहभागिता करते हुए कहा कि शिक्षक न केवल शिक्षा प्रदाता होते हैं, बल्कि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के भी संरक्षक होते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को तनाव से मुक्त रखने के लिए कुछ सरल उपाय जैसे – नियमित संवाद, योग, समय प्रबंधन और काउंसलिंग का सुझाव दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों ने व्याख्यान को बड़ी रुचि और ध्यानपूर्वक सुना। विद्यार्थियों ने वक्ताओं से सवाल पूछकर विषय को और भी व्यावहारिक रूप में समझा।
समापन और आभार
अंत में प्राचार्य डॉ. अजीत राव ने सभी वक्ताओं, उपस्थित शिक्षकों, विद्यार्थियों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रमों की निरंतरता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना समय की मांग है, और इसके लिए शिक्षा को एक नई दिशा देने की जरूरत है।”
रिपोर्टर फरमान खान
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यदि आप चाहते हैं कि शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित न रहे बल्कि मानसिक सशक्तिकरण का माध्यम बने, तो ऐसे कार्यक्रमों में भाग लें और दूसरों को भी जागरूक करें।
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