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हरिद्वार, 25 फरवरी। दीक्षांत समारोह में बेटियों का दबदबा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, जिनमें अधिकतर बेटियाँ शामिल थीं। राज्यपाल ने इसे नारी सशक्तीकरण का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह दिखाता है कि बेटियाँ हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक जीवनशैली है। उन्होंने विद्यार्थियों को आयुर्वेद के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक औषधियाँ बिना किसी हानिकारक प्रभाव के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। राज्यपाल ने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए सभी को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
आयुर्वेद: भारत की अमूल्य धरोहर
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड केवल आध्यात्मिकता और ज्ञान का केंद्र ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा का वाहक भी है। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा प्रणाली मन, शरीर और आत्मा के संतुलन पर जोर देती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन संभव होता है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के बढ़ने के साथ पारंपरिक ज्ञान की अनदेखी की गई, लेकिन अब आयुर्वेद की जागरूकता बढ़ रही है और यह फिर से लोकप्रिय हो रहा है।
तनाव और मानसिक रोगों में आयुर्वेद की भूमिका

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में बढ़ते तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का समाधान आयुर्वेद में मौजूद है। पंचकर्म, योग और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक संतुलन बना रहता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नवीन शोध एवं अनुसंधान पर विशेष ध्यान दें और डिजिटल तकनीक एवं आधुनिक विज्ञान के साथ आयुर्वेद का समन्वय करें।
सरकार आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए वचनबद्ध

इस अवसर पर आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सक होना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार आयुष स्वास्थ्य पर्यटन, जड़ी-बूटियों की खेती एवं उनके विक्रय को गतिशील बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में पहली बार पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, साथ ही सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं के नैदानिक परीक्षण शुरू
कुलपति प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि विश्वविद्यालय आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से प्रकृति परीक्षण अभियान चला रहा है। इसके अलावा, विभिन्न फार्मा कंपनियों के साथ एमओयू किए गए हैं और विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक दवाओं के नैदानिक परीक्षण भी शुरू किए गए हैं।
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