"भाकियू (टिकैत) की कार्यसमिति बैठक में किसानों द्वारा अपनी मांगें उठाते हुए तस्वीर।"कार्यसमिति बैठक में किसानों द्वारा अपनी मांगें उठाते हुए तस्वीर।"

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रुद्रपुर, 26 मार्च 2025। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इकाइयों की प्रथम कार्यसमिति बैठक में किसानों की प्रमुख समस्याओं पर गंभीर चर्चा की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जल्द ही एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसानों की मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।

बैठक में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून लागू करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की गई। साथ ही पंजाब में आंदोलनरत किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और जब्त किए गए ट्रैक्टर-ट्रॉली को रिहा करने की मांग को भी प्रमुखता से उठाया गया।

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बैठक में किसानों की मुख्य मांगें

बैठक में मौजूद किसान नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार पर किसानों की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे यूपी व राज्य प्रभारी बलजिंदर सिंह मान और यूपी प्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि:

तीन कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद सरकार एमएसपी गारंटी कानून नहीं लागू कर रही है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग दोहराई गई।

पंजाब से दिल्ली आ रहे किसानों को रोके जाने और जेल में डालने की निंदा की गई।तराई क्षेत्र के जलाशयों और वन भूमि पर दशकों से खेती कर रहे किसानों को मालिकाना हक दिया जाए।

वर्ग चार, वर्ग एक ग, और वर्ग पांच की जमीनों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को सरल किया जाए।बेसहारा पशुओं से किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।एक अप्रैल से गेहूं खरीद केंद्र खोले जाएं और किसानों का भुगतान 48 घंटे के भीतर सुनिश्चित किया जाए।

बिजली प्रीपेड मीटर योजना से किसानों और मजदूरों को अलग रखा जाए। एनजीटी की सिफारिश से लाई जा रही कबाड़ नीति को खत्म किया जाए और किसानों की जमीनों की समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए।

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बाजपुर के 20 गांवों के किसानों की जमीन का मुद्दा छाया रहा

बैठक में बाजपुर क्षेत्र के 20 गांवों में बसे किसानों की जमीन से संबंधित समस्याएं प्रमुख मुद्दा रहीं। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि बाजपुर के किसानों की समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन के रूप में तेज किया जाएगा।

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गांव-गांव तक संगठन मजबूत करने पर चर्चा

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भाकियू (टिकैत) के संगठन को गांव-गांव तक पहुंचाने और अधिक से अधिक किसानों को आंदोलन से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।

➡ किसान संगठनों का मानना है कि जब तक सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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By Aman

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