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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
हरिद्वार के प्रेमनगर चौक स्थित ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा में गुरु नानक देव जी का 556वां प्रकाश पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में शब्द कीर्तन, अखंड पाठ और अटूट लंगर का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
गुरु नानक देव जी के उपदेश और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गुरु नानक देव जी (1469–1539) सिख धर्म के संस्थापक और महान समाज सुधारक थे। उन्होंने समानता, सत्य, और सेवा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
उनका दर्शन “एक ओंकार” पर आधारित था, जो यह सिखाता है कि ईश्वर एक है और सबमें विद्यमान है।
हर वर्ष गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर देशभर में श्रद्धालु कीर्तन, प्रभात फेरी और लंगर सेवा करते हैं। हरिद्वार में स्थित ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह माना जाता है कि गुरु नानक देव जी यहाँ पधारे थे और उन्होंने सत्य व मानवता का संदेश दिया था।
प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारा में अखंड पाठ साहिब का आयोजन किया गया, जिसका समापन भव्य भोग के साथ हुआ।
अमृतसर दरबार साहिब से आए भाई जसकिरण सिंह पटियाला वाले और उनके साथियों ने शब्द कीर्तन प्रस्तुत कर संगत को निहाल कर दिया। मुख्य समारोह के दौरान अरदास की गई और उसके बाद अटूट लंगर सेवा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार नरेंद्र सिंह बिंद्रा
गुरु नानक देव जी ने सामाजिक समरसता की अलख जगाई। उन्होंने सिखाया कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
संत जगजीत सिंह शास्त्री महाराज, मुख्य संरक्षक — ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा
“गुरु नानक देव जी के विचार हर युग में प्रासंगिक हैं। उन्होंने जात-पात के भेदभाव को खत्म कर समाज को एक सूत्र में बांधा।”
पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक मदन कौशिक
सिख धर्म की स्थापना सनातन धर्म की रक्षा के लिए हुई थी। गुरु नानक देव जी की वाणी ने दोनों समाजों को जोड़े रखा है।”
इस अवसर पर संत जगजीत सिंह शास्त्री महाराज ने
- श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार नरेंद्र सिंह बिंद्रा,
- पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक,
- हरिद्वार की मेयर श्रीमती किरण जैसल,
- और उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार गगनदीप सिंह
को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के संयोजक एवं ज्ञान गोदड़ी सिंह सभा के सचिव सरदार गजेंद्र सिंह ओबेरॉय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और आयोजन में सहयोग देने वालों का आभार जताया। इसके साथ ही, प्रभात फेरियों में सक्रिय योगदान देने वाली सरदारनी अरविंदर कौर, सरदारनी देवेंद्र कौर भाटिया, और सरदारनी कमलजीत कौर को भी सम्मानित किया गया।
हरिद्वार में इस आयोजन से धार्मिक एकता और भाईचारे का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला।
स्थानीय नागरिकों, पर्यटकों और विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोगों ने इस पर्व में भाग लेकर “सर्व धर्म समभाव” का संदेश दिया। लंगर और सेवा कार्यों के चलते आसपास के क्षेत्रों में भी श्रद्धालु वर्ग में विशेष उत्साह का माहौल रहा।
हर वर्ष की तरह इस बार भी गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे में भव्य रूप से आयोजित हुआ।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक संख्या में संगत पहुँची, जिससे आयोजन स्थल पर धार्मिक ऊर्जा का विशेष वातावरण बना। प्रकाश पर्व की तैयारी गुरुद्वारा समिति ने कई सप्ताह पहले ही शुरू कर दी थी, जिसमें सफाई, सजावट और सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया।
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएँ आज भी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उनकी वाणी हमें बताती है कि जाति, धर्म या वर्ग से ऊपर उठकर सेवा, सत्य और समानता के मार्ग पर चलना ही सच्ची भक्ति है। कार्यक्रम के समापन पर सभी ने यही संकल्प लिया कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को जीवन में अपनाकर समाज में प्रेम, एकता और सेवा की भावना को बढ़ाया जाएगा।
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