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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
आर्य समाज की उप प्रतिनिधि सभा हरिद्वार की ओर से 23 नवंबर को एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने कमान संभाली है। उन्होंने आर्य समाज की संस्थाओं, गुरुकुलों और समाजसेवियों से मुलाकात कर महर्षि दयानंद के सिद्धांतों के प्रचार का आह्वान किया। शोभायात्रा ज्वालापुर से शुरू होकर खड़खड़ी स्थित वैदिक मोहन आश्रम में संपन्न होगी। यात्रा के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और न्याय निशुल्क किए जाने की मांग सहित आर्य राष्ट्र निर्माण का संदेश दिया जाएगा।
आर्य समाज की शोभायात्रा को सफल बनाने में जुटे स्वामी यतीश्वरानंद
हरिद्वार में 23 नवंबर को आर्य समाज की उप प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन होने जा रहा है। इस यात्रा को ऐतिहासिक और जनभागीदारी वाला बनाने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है।

आर्य समाज की स्थापना 1875 में महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा की गई थी, जिसका मूल उद्देश्य था — सत्य, शिक्षा, समानता और समाज सुधार। हरिद्वार, जिसे वैदिक संस्कृति की धरती कहा जाता है, में आर्य समाज लंबे समय से शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में कार्यरत है। इस बार की शोभायात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का संदेश देना है।
23 नवंबर को हरिद्वार के स्वामी दर्शनानंद महाविद्यालय ज्वालापुर से शोभायात्रा प्रारंभ होगी।
यह यात्रा सिंहद्वार, आर्यनगर चौक, वानप्रस्थ आश्रम होते हुए वैदिक मोहन आश्रम, खड़खड़ी में संपन्न होगी। स्वामी यतीश्वरानंद ने स्वयं कई आर्य समाज संस्थाओं जैसे पाणिनि आर्ष विद्याकुलम और एंग्लो वैदिक गुरुकुल पुरकाजी में जाकर प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने समाज के हर वर्ग से इस यात्रा में भाग लेने की अपील की।
स्वामी यतीश्वरानंद का जनसंपर्क अभियान
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने जनसंपर्क अभियान चलाते हुए कहा कि आर्य समाज केवल धार्मिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक राष्ट्र निर्माण की विचारधारा है।
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर समाजजनों से मुलाकात की और महर्षि दयानंद के सिद्धांतों को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि शोभायात्रा के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और न्याय निशुल्क करने, चरित्र निर्माण, बेरोजगारी समाधान, और जनसंख्या संतुलन जैसे मुद्दों पर जनजागरण किया जाएगा।
हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यटन नगरी में इस तरह की बड़ी यात्रा से स्थानीय व्यापार और जनजीवन पर भी असर देखने को मिलेगा। यात्रा के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव की संभावना है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा और व्यवस्था की तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। शोभायात्रा से न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि समाज में शिक्षा और नैतिकता के प्रति चेतना भी फैलेगी।
हरिद्वार में आर्य समाज की पिछली बड़ी शोभायात्रा 2019 में निकाली गई थी, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया था।
इस वर्ष का आयोजन और भी बड़े स्तर पर होने की उम्मीद है।
सोशल मीडिया पर भी आर्य समाज से जुड़े संगठन इस कार्यक्रम का व्यापक प्रचार कर रहे हैं।
आर्य समाज की यह शोभायात्रा न केवल धार्मिक उत्सव होगी, बल्कि समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण का प्रतीक भी बनेगी।
स्वामी यतीश्वरानंद ने लोगों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर आर्य राष्ट्र निर्माण यात्रा को सफल बनाएं। आयोजन समिति ने घोषणा की है कि यात्रा के उपरांत राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भेजा जाएगा, जिसमें शिक्षा, चिकित्सा और न्याय को निशुल्क किए जाने की मांग प्रमुख रूप से रखी जाएगी।
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