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Dehradun news । उत्तराखंड में पंचायत चुनाव एक बार फिर टल गए हैं, जिसके चलते सरकार ने पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। पंचायतों के कार्यकाल की अवधि समाप्त होने के बाद अब प्रशासनिक व्यवस्था संभालने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है।
पंचायतों का कार्यकाल समाप्त, चुनाव टले
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 ङ के अनुसार, पंचायतों का कार्यकाल उनकी पहली बैठक की तिथि से अधिकतम 5 वर्षों तक सीमित होता है। उत्तराखंड के सभी जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में पंचायत चुनाव नवंबर 2019 में कराए गए थे। ऐसे में पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन नए चुनाव अभी तक नहीं कराए गए हैं।

उत्तराखंड सरकार ने पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया है और इसके स्थान पर प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे पहले भी चुनावों को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इन्हें टाल दिया गया।
प्रशासकों की नियुक्ति से क्या होगा?
पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का मतलब है कि जब तक चुनाव नहीं होते, तब तक सरकारी अधिकारी या अन्य अधिकृत व्यक्ति पंचायतों का संचालन करेंगे। इसका प्रभाव ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के प्रशासनिक कार्यों पर पड़ेगा।
प्रशासकों की भूमिका:
1. पंचायतों से संबंधित योजनाओं और विकास कार्यों का संचालन करना।
2. सरकारी निधियों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करना।3. ग्रामीण विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाना।
4. पंचायतों से जुड़े विवादों का समाधान करना।
चुनाव टलने के पीछे की वजहें
पंचायत चुनावों में देरी की कई वजहें सामने आ रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से प्रशासनिक तैयारियां, मतदाता सूची का पुनरीक्षण, परिसीमन से जुड़े मुद्दे और कानूनी प्रक्रियाएं शामिल हैं।
ग्रामीणों की क्या प्रतिक्रिया?
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनावों के टलने पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोग चुनावों में देरी से नाराज हैं, जबकि कुछ का मानना है कि सरकार को पहले सभी प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी कर लेनी चाहिए।
क्या अगला चुनाव जल्द होगा?
फिलहाल चुनाव की कोई निश्चित तिथि घोषित नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन की ओर से जल्द चुनाव कराने की संभावना जताई जा रही है।
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