"सीएम पुष्कर सिंह धामी 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से राज्य की वित्तीय जरूरतों पर चर्चा करते हुए""सीएम पुष्कर सिंह धामी 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से राज्य की वित्तीय जरूरतों पर चर्चा करते हुए"

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देहरादून। उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्षों में जहां एक ओर बुनियादी ढांचे के विकास में आगे बढ़ा है, वहीं वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के सामने राज्य की आर्थिक स्थिति, जरूरतों और विशिष्ट चुनौतियों को विस्तार से प्रस्तुत किया।

मुख्यमंत्री ने इस बैठक में विशेष रूप से उत्तराखंड की ईको सर्विस कॉस्ट, वन संरक्षण, हाइड्रो पावर की बाधाओं और फ्लोटिंग पॉपुलेशन के प्रबंधन से जुड़ी जमीनी हकीकत को उजागर किया। उन्होंने कहा कि राज्य का 70% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है, जिससे विकास कार्यों पर प्रतिबंध लगता है और व्यय भी अधिक होता है।

धामी ने आयोग से मांग की कि इनवॉयरमेंटल फेडरलिज्म की भावना के अनुरूप उत्तराखंड को उचित क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए। साथ ही “कर हस्तांतरण” में वन आच्छादन का भार 20% तक बढ़ाने का भी आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने वन प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने की अपील की।

सीएम धामी ने कहा कि राज्य को जल विद्युत क्षेत्र में संभावनाएं होते हुए भी केंद्र सरकार की नीतियों, विशेषकर गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ा है। इससे राज्य को राजस्व और रोजगार दोनों में नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति राशि तय की जानी चाहिए।

राज्य की भौगोलिक कठिनाइयों को रेखांकित करते हुए सीएम ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है। ऐसे में स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल, टेली-मेडिसिन और विशेष एंबुलेंस सेवाओं जैसी पहलों पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने भागीरथ एप का भी जिक्र किया, जो जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए एक अभिनव प्रयास है।

बैठक में यह भी कहा गया कि राज्य को प्राकृतिक आपदाओं का बार-बार सामना करना पड़ता है, जिसके लिए सतत आर्थिक सहयोग जरूरी है। रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के स्थान पर रेवेन्यू नीड ग्रांट को लागू करने की मांग की गई, ताकि राज्य की वास्तविक जरूरतों के अनुसार सहयोग मिल सके।

मुख्यमंत्री ने राजकोषीय अनुशासन को भी कर हस्तांतरण के मानकों में शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में पूंजीगत व्यय और अनुरक्षण लागत अधिक होती है, इसीलिए क्रेडिट-डिपॉजिट रेश्यो में सुधार के लिए विशेष पहल जरूरी है।

इस महत्वपूर्ण बैठक में आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने उत्तराखंड की विकास यात्रा की सराहना की और भरोसा दिलाया कि राज्य की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संतुलित और सहायक नीति पर विचार किया जाएगा। आयोग की रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी।

बैठक में राज्य के वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

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By ATHAR

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