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देहरादून, उत्तराखंड: सामाजिक समरसता, धार्मिक सौहार्द और राष्ट्रभक्ति के भाव को और मजबूत करने के उद्देश्य से दिनांक 10 मई 2025 को उत्तराखंड राजभवन में एक ऐतिहासिक सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि, धार्मिक नेता, समाजसेवी एवं नागरिक समाज के सदस्य उपस्थित रहे।

इस गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रति समाज के हर वर्ग की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करना रहा। राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक सभा नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारे साझा उत्तरदायित्व की अभिव्यक्ति है।
हर धर्म का मूल संदेश – एकता, करुणा और शांति
राज्यपाल ने विभिन्न धर्मों के मूल संदेशों को एक सूत्र में पिरोते हुए बताया कि सभी धर्म एकता, करुणा और मानवता की बात करते हैं। उन्होंने कहा:हिन्दू धर्म “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की शिक्षा देता है।सिख धर्म “एकम भावना” पर आधारित है।बौद्ध धर्म आत्मबल और शांति का प्रतीक है – “अपने दीपक स्वयं बनो।”जैन धर्म अहिंसा को परम धर्म मानता है।

इस्लाम में भेदभाव नहीं, बल्कि समानता का संदेश निहित है।ईसाई धर्म में शांति फैलाने वालों को ईश्वर की संतान बताया गया है।राज्यपाल ने कहा कि सेना और समाज के बीच यह संवाद राष्ट्र की आत्मा को बल देने वाला है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में हमारी वीर बेटियां कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के योगदान को भी उन्होंने विशेष रूप से सराहा।
मुख्यमंत्री का संदेश – राष्ट्र के साथ खड़े रहें
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि ने सदैव बलिदान, शौर्य और राष्ट्रभक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हमें हमारे सैनिकों के साथ खड़े होकर, अफवाहों से दूर रहकर और सोशल मीडिया पर संयम रखते हुए सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने धर्मस्थलों पर वीर सैनिकों की दीर्घायु और राष्ट्र की विजय के लिए प्रार्थना करें। मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम और युद्ध प्रयासों को भारत की संप्रभुता के विरुद्ध बताया, और कहा कि हमारी सेनाएं हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं।
सर्वधर्म एकता का संदेश कार्यक्रम में स्वामी चिदानंद मुनि, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स, बौद्ध धर्मगुरु सोनम चोग्याल, ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ, सरदार गुरबक्श सिंह राजन आदि ने अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में भारत की एकता, अखंडता और भाईचारे को बनाए रखने का संदेश दिया।
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