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रुड़की में सोमवार को ट्रैफिक पुलिस विभाग की ओर से ‘जूनियर ट्रैफिक फोर्स’ के लिए एक विशेष यातायात जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों को सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक उपकरणों के महत्व और दुर्घटना के दौरान त्वरित सहायता के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
युवाओं में सड़क सुरक्षा की समझ विकसित करने की पहल
हरिद्वार जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को देखते हुए पुलिस विभाग लगातार जनजागरूकता अभियान चला रहा है।
इसी क्रम में रुड़की में “जूनियर ट्रैफिक फोर्स” पहल के तहत स्कूली छात्रों को ट्रैफिक नियमों से जोड़ा जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ी में सड़क सुरक्षा की संस्कृति विकसित हो सके।
“युवा ही भविष्य के जिम्मेदार नागरिक हैं, इसलिए उन्हें अभी से सड़क सुरक्षा की शिक्षा देना जरूरी है।” — यातायात निरीक्षक संदीप नेगी
छात्रों ने सीखा ट्रैफिक नियमों का ककहरा

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार के आदेशानुसार 27 अक्टूबर 2025 को ट्रैफिक कार्यालय रुड़की में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में यातायात निरीक्षक संदीप नेगी और उप निरीक्षक सुनील सती ने छात्रों को सड़क सुरक्षा और यातायात अनुशासन से संबंधित प्रशिक्षण दिया।
‘गोल्डन आवर’ और गुड समरिटन योजना पर विस्तार से चर्चा
छात्रों को बताया गया कि दुर्घटना के तुरंत बाद का एक घंटा यानी “गोल्डन आवर” जीवन बचाने में सबसे अहम होता है।
इस दौरान सही मदद और प्राथमिक उपचार से कई जानें बचाई जा सकती हैं।
साथ ही, गुड समरिटन (RAH-VEER) योजना के तहत घायल व्यक्ति की मदद करने वाले नागरिकों को कानूनी सुरक्षा और सम्मान देने की जानकारी दी गई।
इसके अलावा, “जीवन रक्षक योजना” के तहत बताया गया कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को चयनित अस्पतालों में सरकार द्वारा ₹1.5 लाख तक और 7 दिनों तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है।
छात्रों ने निभाई ट्रैफिक पुलिस की भूमिका
कार्यक्रम के बाद विद्यार्थियों को रुड़की के व्यस्त चौराहों पर ले जाकर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
छात्रों ने ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर वाहन चालकों को दिशा निर्देश दिए और नियमों का पालन सुनिश्चित कराया।
जूनियर ट्रैफिक फोर्स के सदस्यों ने नियम तोड़ने वालों को समझाते हुए शिष्टाचारपूर्ण तरीके से जागरूकता संदेश दिए।
“हमने सीखा कि सड़क पर अनुशासन सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।” — जूनियर ट्रैफिक फोर्स सदस्य छात्रा
रुड़कीवासियों ने की पहल की सराहना

रुड़की के नागरिकों ने इस पहल को सराहनीय बताया।
कई अभिभावकों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी और सुरक्षा चेतना दोनों विकसित होती हैं।
व्यापारियों और वाहन चालकों ने भी कार्यक्रम के दौरान ट्रैफिक पुलिस और छात्रों के सहयोग की सराहना की।
नागरिक प्रतिक्रिया प्रतिशत या सहभागियों की संख्या]
यातायात शिक्षा क्यों जरूरी है?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं।
इनमें से बड़ी संख्या लापरवाही, तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के कारण होती है।
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