राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन का भव्य आयोजन संपन्नभव्य आयोजन संपन्न

सबसे सटीक ज्वालापुर टाइम्स न्यूज़…👍

रिपोर्टर फरमान खान

लक्सर। हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज, रायसी, हरिद्वार के इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन का भव्य आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया। संगोष्ठी में देशभर से आए विद्वानों, शिक्षाविदों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने भाग लिया और ऐतिहासिक विषयों पर विचार-विमर्श किया।

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। मुख्य अतिथि संजय मिश्रा, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली ने ऐतिहासिक तथ्यों की पुनर्समीक्षा एवं राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से इतिहास लेखन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास केवल अतीत की जानकारी नहीं, बल्कि भविष्य निर्माण का भी आधार है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. शैलेंद्र, प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तराखंड ने भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास को केवल विजय और पराजय के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत विकास के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। मुख्य वक्ता प्रो. राकेश चंद्र भट्ट, पूर्व प्रतिकुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर ने उत्तराखंड की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र केवल आध्यात्मिकता का केंद्र ही नहीं, बल्कि वैदिक, पौराणिक एवं मध्यकालीन इतिहास का साक्षी भी रहा है।

संगोष्ठी के विविध सत्र एवं शोध पत्रों की प्रस्तुति

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. केपी सिंह, अध्यक्ष, प्रबंध समिति, हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज, रायसी ने की। उन्होंने ऐतिहासिक शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इतिहास लेखन तथ्यों पर आधारित होना चाहिए और समाज को दिशा देने वाला भी होना चाहिए।

कॉलेज के सचिव एवं ब्लॉक प्रमुख डॉ. हर्ष कुमार दौलत ने युवाओं को इतिहास अध्ययन से जोड़ने पर जोर दिया।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजीत कुमार राव ने संगोष्ठी की थीम पर प्रकाश डालते हुए अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति गुप्ता एवं डॉ. वर्षा अग्रवाल ने किया। प्रमुख अतिथियों में डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. शिवचंद सिंह रावत, डॉ. केपी तोमर, डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. रणवीर सिंह, डॉ. पूनम चौधरी, कुलदीप सिंह टंडवाल सहित देशभर से आए अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी शामिल रहे।

शोध पत्रों की प्रस्तुति और निष्कर्ष संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें “भारतीय इतिहास लेखन की चुनौतियाँ”, “सांस्कृतिक परंपराओं का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य”, “लोक इतिहास एवं स्थानीय परंपराएँ” जैसे विषय शामिल थे। इन शोध पत्रों से ऐतिहासिक अध्ययन की नई दिशाओं पर व्यापक विमर्श हुआ।

समापन एवं आभार व्यक्त

समापन सत्र में आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया। वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि ऐसे आयोजन ऐतिहासिक अध्ययन एवं अनुसंधान को नई दिशा देने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसने इतिहास लेखन और सांस्कृतिक विमर्श की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।

यह भी पढ़ें 👉 क्या माइक्रोवेव में प्लास्टिक का उपयोग करना सुरक्षित है? जानिए पूरी जानकारी

By ATHAR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *