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विकासनगर (उत्तराखंड)। राजा रोड स्थित घनी आबादी वाले क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाए जाने के विरोध में स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध जताया। गुरुवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण निर्माण स्थल पर पहुंचे और टावर लगाने के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि आबादी क्षेत्र में टावर लगाना लोगों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है और इसके खिलाफ वे किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं।
प्रदर्शन की शुरुआत उस समय हुई जब स्थानीय निवासियों को पता चला कि निजी कंपनी द्वारा राजा रोड पर एक खेत में मोबाइल टावर लगाया जा रहा है। यह खेत पहले से ही एक मोबाइल टावर का स्थान रहा है, लेकिन अब दोबारा वहां नया टावर लगाए जाने की तैयारी चल रही है।ग्रामीणों का कहना है कि टावर के रेडिएशन से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की सेहत पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, इलाके की सुंदरता और शांति भी प्रभावित हो सकती है।
तीन जून को वार्ड नंबर नौ की सभासद अंबिका चौहान ने जिलाधिकारी को इस मामले की लिखित शिकायत की थी। जिलाधिकारी ने इस पर जांच के आदेश दिए थे, लेकिन काम फिर भी नहीं रुका। इसी कारण लोगों में रोष और बढ़ गया और उन्होंने धरना देने का फैसला लिया।
गुरुवार को ग्रामीण टेंट लगाकर मौके पर बैठ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। सूचना मिलते ही सेलाकुई पुलिस और नगर पंचायत की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने लोगों को शांत करने का प्रयास किया। नगर पंचायत अध्यक्ष सुमित चौधरी ने भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर लोगों से बात की।
नगर पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आबादी क्षेत्र में टावर लगाया जाना उचित नहीं है, क्योंकि इससे लोगों की सेहत पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक मामले की जांच पूरी नहीं होती, तब तक टावर लगाने का काम बंद होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कंपनी द्वारा टावर लगाने का कार्य जबरन जारी रखा गया, तो नगर पंचायत खुद भी ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठेगी।
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों का कहना था कि प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसी परियोजनाओं को अनुमति नहीं देनी चाहिए, जो जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डालें।
धरना देने वालों में ओमप्रकाश, सुरेश चंद, चरण सिंह, रामपाल, राजाराम, मकानी देवी, ममता, कुलवंती समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल थे।
वहीं, खेत के मालिक हरदेव का कहना है कि यह नया टावर नहीं है, बल्कि पहले से लगे टावर को ही दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें कोई नया निर्माण नहीं किया जा रहा है। हालांकि स्थानीय लोगों ने इस दावे पर भरोसा नहीं जताया और कहा कि यदि शिफ्टिंग हो रही है तो इसकी जानकारी पहले दी जानी चाहिए थी।स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की कि जांच पूरी होने तक टावर लगाने का कार्य तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनहित के मुद्दों पर प्रशासन और कंपनियां संवेदनशीलता से काम ले रही हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि भविष्य में इस तरह के निर्माण कार्यों के लिए जनसुनवाई और स्थानीय स्वीकृति अनिवार्य की जाए ताकि आमजन की सहमति के बिना ऐसे निर्णय न लिए जाएं।
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