"हरिद्वार में मौलाना मोहम्मद आरिफ निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए""हरिद्वार में मौलाना मोहम्मद आरिफ निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए"

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उत्तराखंड के धार्मिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित मदरसा अरबिया दारुल उलूम रशीदिया में संपन्न चुनाव में मौलाना मोहम्मद आरिफ साहब को निर्विरोध जमीअत उलमा उत्तराखंड का अध्यक्ष चुना गया। इस ऐतिहासिक चुनाव ने न केवल संगठनात्मक ढांचे को मजबूती दी है बल्कि आने वाले वर्षों में राज्य में जमीअत उलमा की सक्रियता और प्रभाव को और गहरा करने की उम्मीदें भी जगा दी हैं।

मौलाना मोहम्मद आरिफ का निर्विरोध चयन

चुनाव में किसी ने भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन नहीं किया। सभी उपस्थित उलमा ने सर्वसम्मति से मौलाना मोहम्मद आरिफ का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। यह न केवल उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता की पहचान है बल्कि संगठन के प्रति उनकी निष्ठा और कार्यशैली पर विश्वास का भी प्रतीक है।

इस चुनाव की खासियत यह रही कि इसमें केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दिल्ली और देवबंद से भी प्रमुख उलमा पहुंचे। दिल्ली से मौलाना मुफ्ती रजी कासमी, मौलाना अब्दुल मुईद और कारी मोहम्मद खालिद ने शिरकत की। वहीं, दारुल उलूम देवबंद से मौलाना सलमान बिजनौरी की मौजूदगी ने चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इन सभी वरिष्ठ धर्मगुरुओं ने मौलाना आरिफ को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने पर शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि उनके नेतृत्व में संगठन और अधिक संगठित तथा मजबूत होगा।

चुनाव की पारदर्शी प्रक्रिया

ईदगाह मदरसे में आयोजित इस चुनाव का संचालन मास्टर साजिद हसन ने किया। उन्होंने पूरी चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराया। चुनाव में मौजूद हर प्रतिनिधि ने इस बात को स्वीकार किया कि प्रक्रिया बिल्कुल साफ-सुथरी रही और सभी ने एकमत होकर मौलाना आरिफ को अध्यक्ष चुनकर संगठन में नई ऊर्जा भर दी।

चुनाव में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से सैकड़ों उलमा और जिम्मेदार लोग पहुंचे। इनमें मौलाना मासूम प्रधान, मौलाना रज्जाक, मौलाना अब्दुल कादिर, मौलाना हारून, मौलाना अरशद, कारी शमीम, मौलाना अली हसन, मुफ्ती हसीन समेत बड़ी संख्या में उलमा शरीक हुए। उनकी उपस्थिति ने इस चुनाव को राज्य स्तर पर एक बड़ा धार्मिक आयोजन बना दिया।

जमीअत उलमा की ऐतिहासिक भूमिका

जमीअत उलमा भारत ही नहीं बल्कि उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी लंबे समय से सक्रिय रही है। यह संगठन शिक्षा, सामाजिक न्याय, धार्मिक स्वतंत्रता और आपसी भाईचारे को मजबूत करने के लिए काम करता रहा है। मौलाना आरिफ के नेतृत्व में संगठन इन प्रयासों को और गति देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड के सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने को देखते हुए जमीअत की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी। संगठन का मुख्य ध्यान अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा, युवाओं के मार्गदर्शन और धार्मिक जागरूकता पर रहेगा।

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश में संगठन के सामने कई चुनौतियाँ हैं। दूर-दराज़ इलाकों तक पहुंच बनाना, शिक्षा की कमी को दूर करना और युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना संगठन के बड़े लक्ष्य होंगे। मौलाना आरिफ ने अपने संबोधन में संकेत दिया कि वे आने वाले समय में इन चुनौतियों को अवसर में बदलकर संगठन को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।

संगठनात्मक ढांचे को मजबूती

मौलाना आरिफ के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने से जमीअत उलमा उत्तराखंड के संगठनात्मक ढांचे को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। उत्तराखंड जैसे धार्मिक दृष्टि से संवेदनशील और बहु-आयामी प्रदेश में जमीअत की सक्रिय भूमिका हमेशा अहम रही है। अब मौलाना आरिफ की अगुवाई में संगठन शिक्षा, सामाजिक उत्थान और धार्मिक जागरूकता की दिशा में नए कदम उठाने की तैयारी करेगा।

मौलाना आरिफ ने अध्यक्ष चुने जाने पर कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं बल्कि पूरे संगठन और समुदाय की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी उलमा और सदस्यों से सहयोग की अपील की और कहा कि सामूहिक प्रयासों से ही संगठन को मजबूत और प्रभावी बनाया जा सकता है।

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By ATHAR

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