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कोलकाता से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां पति-पत्नी के विवाद का खामियाजा एक मासूम को भुगतना पड़ा। उत्तर 24 परगना के बशीरहाट सीमा क्षेत्र में पिता ने अपने 10 वर्षीय बेटे को देर रात अकेले छोड़ दिया। स्थानीय लोगों की संवेदनशीलता और त्वरित सूचना पर पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित बचा लिया।
पारिवारिक विवाद समाज में कोई नई बात नहीं, लेकिन जब यह कड़वाहट बच्चों के जीवन को प्रभावित करने लगे, तो इसका असर गहरा और दर्दनाक होता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते कुछ महीनों से पिंटू घोष और उनकी पत्नी माधवी घोष के बीच घरेलू तनाव बना हुआ था। छोटे-छोटे मुद्दों पर होने वाली कहासुनी धीरे-धीरे गंभीर विवाद का रूप ले चुकी थी। ऐसी ही परिस्थिति में, कुछ दिन पहले विवाद बढ़ने पर मां माधवी ने बेटा छोड़कर मायके जाने का निर्णय लिया। इससे बच्चे की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ना स्वाभाविक था। इसी पारिवारिक टूटन ने इस हृदयविदारक घटना की नींव तैयार की।
- स्थान: बशीरहाट, भारत-बांग्लादेश सीमा, उत्तर 24 परगना
- दिनांक: मंगलवार रात (5 नवंबर)
- घटना: पिता ने बेटे को सीमा के पास छोड़ दिया और भाग गया
मंगलवार रात पिंटू घोष अपने बेटे को मोटरसाइकिल पर बैठाकर यह कहकर ले गया कि वह उसे मां के पास छोड़ने जा रहा है। लेकिन मां ने बच्चे को अपने साथ रखने से इनकार कर दिया।
इसके बाद पिता अपने साथ लाया बैग और बच्चे को लेकर भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर बढ़ा। पुलिस के अनुसार:
पिता ने सीमा क्षेत्र के समीप बच्चे को मोटरसाइकिल से उतरने को कहा और वापस मुड़कर अंधेरे में तेज़ी से निकल गया।
अजनबी और सुनसान इलाका, अंधेरी रात, माता-पिता से दूर — बच्चा भय से रोने लगा। स्थानीय निवासियों ने उसकी आवाज़ सुनी, मदद के लिए आगे आए और तुरंत पुलिस को सूचना दी। लोगों ने बच्चे को भोजन दिया और दिलासा भी दिया।
मानवता और जागरूकता पर बड़ा सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशीलता और बच्चों की सुरक्षा पर गहरी चिंताओं को उजागर करती है।
- ग्रामीणों में घटना को लेकर नाराजगी
- सोशल मीडिया पर बाल संरक्षण कानूनों को लेकर बहस
- पड़ोस व मोहल्लों में “बच्चों पर घरेलू विवाद का असर” पर चर्चा
- इस घटना ने यह भी दिखाया कि स्थानीय समुदाय की जागरूकता और मानवीय संवेदना आज भी बच्चों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यह घटना पारिवारिक झगड़ों में बच्चों की उपेक्षा और मानसिक उत्पीड़न का गंभीर उदाहरण है। माता-पिता के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका असर बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर न पड़े, यह प्रत्येक परिवार की ज़िम्मेदारी है।
समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर ऐसे मामलों में संवेदनशीलता, कठोर कानूनी कार्रवाई और काउंसलिंग व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।
सूचना मिलते ही बशीरहाट थाना पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चे को थाने लाकर पूछताछ की। उसने अपने घर और माता-पिता का विवरण पुलिस को दिया।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:
“लड़के को सुरक्षित घर पहुँचाया गया है और उसके माता-पिता से संपर्क किया जा चुका है। आगे की कानूनी प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।”
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