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जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली क्षेत्र में बुधवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। बकरियाँ चराने गई 16 वर्षीय किशोरी नदी में डूब गई, जिसके बाद पूरे गाँव में मातम पसर गया। खबर लिखे जाने तक उसका शव बरामद नहीं हो सका था।
ग्रामीण क्षेत्रों में नदी किनारे सुरक्षा क्यों बनती है जोखिमपूर्ण?
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों, नदी और नालों के पास बच्चों और किशोरों का आना-जाना आम बात है। परिवार अक्सर उन्हें मवेशी चराने या दैनिक कार्यों में मदद के लिए भेजते हैं।
ऐसे में पानी के तेज बहाव, फिसलन भरे घाट और सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के चलते हादसे होने का खतरा बना रहता है।
केराकत और उसके आसपास कई स्थानों पर पहले भी नदी, तालाब और नहरों में डूबने की घटनाएँ हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों को जल सुरक्षा के प्रति जागरूक करना बेहद आवश्यक है ।
- स्थान: कुसरना महादेवा जोखुआन घाट, केराकत, जौनपुर
- तारीख: 05 नवंबर 2025
- केराकत क्षेत्र में रहने वाली 16 वर्षीय सेजल यादव, पुत्री स्व. केदार यादव, बुधवार को हमेशा की तरह गाँव के पास स्थित नदी किनारे बकरियाँ चराने गई थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ देर बाद उसे अचानक दौरा पड़ा, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और वह सीधा नदी में जा गिरी। देखते ही देखते वह तेज धार में बह गई। गाँव वालों ने जैसे ही यह दृश्य देखा, तुरंत शोर मचाया और सहायता के लिए लोग दौड़े। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी।
परिवार में कोहराम, गाँव में मातम
इस हादसे ने पूरे गाँव को झकझोर कर रख दिया है।
- मृतका की माँ और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
- गाँव में गम और शोक का माहौल
- लोग घटना स्थल पर जुटे और प्रशासन से सुरक्षा उपाय बढ़ाने की माँग
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि नदी किनारे किसी प्रकार की बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड और निगरानी नहीं है, जिससे ऐसी घटनाएँ बार-बार होती हैं भारत में हर वर्ष हजारों लोग नदी, तालाब, नहर और कुओं में डूबकर अपनी जान गंवाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में ये घटनाएँ अधिक होती हैं, क्योंकि:
- सुरक्षा इंतज़ामों की कमी
- बच्चों की निगरानी न होना
- तैराकी का प्रशिक्षण न मिलना
- उत्तर प्रदेश में ही प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जहाँ ग्रामीण बच्चे खुले जल स्रोतों के पास बिना सुरक्षा के पाए जाते हैं। यह घटना इस गंभीर समस्या की पुनः याद दिलाती है।
- नाम: सेजल यादव
- पिता: स्व. केदार यादव
- उम्र: 16 वर्ष
- शिक्षा: आठवीं पास
- पिता के निधन के बाद से सेजल अपनी माँ के साथ रहती थी और घर के कामों में हाथ बँटाती थी।
कुसरना घाट पर हुआ यह हादसा बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नदी किनारे सुरक्षा इंतज़ाम की कितनी कमी है।
स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि ऐसे स्थानों पर चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग और सुरक्षा पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। परिवारों को भी बच्चों को पानी के स्थानों पर अकेले न भेजने और जल सुरक्षा के प्रति जागरूक करने की ज़रूरत है।
थोड़ी-सी सतर्कता दुखद घटनाओं को रोक सकती है।
- पुलिस और ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से खोज अभियान शुरू किया
- नदी में गोताखोरों और स्थानीय तैराकों की मदद ली जा रही है
- खबर लिखे जाने तक शव बरामद नहीं हुआ था
- इस घटना के बाद से पूरा गाँव सदमे में है।
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