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लक्सर (फ़रमान ख़ान)
हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज रायसी में समाजशास्त्र विभाग द्वारा विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं और समाज के लोगों को यह संदेश देना था कि आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष ही सच्ची ताकत है।
कॉलेज के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है, जिसे यूँ ही खो देना किसी भी स्थिति में सही नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि जीवन की हर परेशानी अस्थायी होती है जबकि आत्महत्या एक स्थायी और अपूरणीय क्षति है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से घबराएँ नहीं, बल्कि उनका साहसपूर्वक सामना करें।
कॉलेज के सचिव डॉ. हर्ष कुमार दौलत ने अपने वक्तव्य में युवाओं को मानसिक दबाव के बारे में खुलकर बात करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज के समय में भावनाओं को भीतर ही दबाए रखना खतरनाक हो सकता है। संवाद ही वह माध्यम है जिससे हम अपने अंदर के दर्द को हल्का कर सकते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मानसिक तनाव को बाँटना ही समाधान की ओर पहला कदम होता है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आदित्य गौतम ने शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन की सच्चाइयों से परिचित कराना और उन्हें मानसिक रूप से तैयार करना भी एक शिक्षक की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का विकास करना आत्महत्या जैसे विचारों से उन्हें दूर रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सुरजीत कौर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जीवन की हर चुनौती अस्थायी होती है और सकारात्मक सोच व आपसी सहयोग से किसी भी कठिन समय को पार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निराशा की स्थिति में उम्मीद का दामन थामना ही जीवन को आगे बढ़ाने की दिशा में पहला कदम है।
इस अवसर पर डॉ. अजीत राव ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि किसी भी समय यदि वे अकेलापन महसूस कर रहे हों, तो उन्हें संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए। मदद माँगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी की निशानी है।
डॉ. केपी तोमर ने आत्महत्या को एक गंभीर सामाजिक समस्या बताते हुए कहा कि यह अब केवल व्यक्तिगत मामला नहीं रहा, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जहाँ हर व्यक्ति को सहयोग, संवेदना और समर्थन मिले ताकि कोई अकेलापन महसूस न करे।
हरीश राम ने युवाओं को संघर्ष का रास्ता अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं लेकिन उन पर विजय पाने का नाम ही जीवन है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि परिवार और समाज का सहयोग युवाओं को न केवल मानसिक बल देता है, बल्कि उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करता है।
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और वक्ताओं ने यह संकल्प लिया कि वे जीवन का सम्मान करेंगे, कठिनाइयों से डरेंगे नहीं और जरूरतमंद साथियों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
इस कार्यक्रम में कॉलेज के अनेक विभागों के शिक्षकगण – डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. कुलदीप सिंह टंडवाल, डॉ. मनोज चोकर, डॉ. विनीता, डॉ. पूनम चौधरी, डॉ. वर्षा रानी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। सभी ने इस विषय पर गंभीरता से विचार किया और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का संचालन सुचारु और प्रभावशाली तरीके से किया गया जिससे उपस्थित सभी लोगों को यह एहसास हो सका कि जीवन की कीमत क्या होती है और क्यों हर परिस्थिति में उसे बचाने और बेहतर बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि समाज में संवाद, सहयोग और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाए, तो आत्महत्या जैसी गंभीर समस्या पर रोक लगाई जा सकती है। छात्रों, शिक्षकों और समाज के हर वर्ग को मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार करना होगा जहाँ हर व्यक्ति अपनी भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त कर सके और उसे सुनने वाला कोई अवश्य हो।
यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा है, तो यह जरूरी है कि वह अपने परिवार, मित्रों या शिक्षकों से खुलकर बात करे। भावनाओं को भीतर ही दबा लेना समस्या का समाधान नहीं है। एक सही समय पर किया गया संवाद कई बार जीवन बचा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम संवाद की संस्कृति को अपनाएँ और दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहें।
इस प्रकार हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज रायसी द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम आत्महत्या जैसे संवेदनशील विषय पर एक सशक्त संदेश देकर समाप्त हुआ। आयोजन की सफलता इस बात में निहित रही कि इसने उपस्थित सभी लोगों को जीवन के महत्व को समझाया और उन्हें एक सकारात्मक दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया।
यदि आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति मानसिक दबाव से जूझ रहा है, तो चुप न रहें। बात करें, मदद करें और साथ चलें। आपकी एक सकारात्मक पहल किसी की ज़िंदगी बदल सकती है। संवाद ही समाधान है।
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