नागपुर में 130 साल पुरानी दीवार गिरने की CCTV फुटेज की तस्वीर, जिसमें धूल और मलबा सड़कों पर फैलता दिख रहा है और लोग भाग रहे हैं।नागपुर में 130 साल पुरानी दीवार गिरने की CCTV फुटेज की तस्वीर, जिसमें धूल और मलबा सड़कों पर फैलता दिख रहा है और लोग भाग रहे हैं।

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नागपुर शहर के एम्प्रेस मिल क्षेत्र में रविवार रात एक गंभीर हादसा होते-होते टल गया। शहर की एक 130 साल पुरानी दीवार अचानक ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर पड़ी। यह हादसा रात ठीक 11 बजकर 19 मिनट पर हुआ, जिसकी पूरी घटना वहीं लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। फुटेज में दिखाई दे रहा है कि सामान्य ट्रैफिक के बीच, सड़क पर गुजरते दोपहिया वाहन सवारों के कुछ ही सेकंड बाद दीवार अचानक गिर जाती है।

हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि बाइक सवारों की गति थोड़ी धीमी होती या वे कुछ सेकंड और पीछे होते, तो शायद उनकी जान पर बन आती। दीवार गिरने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास का पूरा इलाका दहल गया। सौभाग्य से किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गई, लेकिन घटना ने प्रशासन की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है।

दीवार, जो अब इतिहास बन चुकी है, एम्प्रेस मिल के पास स्थित मारवाड़ी चाल से लगी हुई थी। यह चाल शहर की पुरानी बस्तियों में से एक है, जहाँ वर्षों से बड़ी संख्या में परिवार रह रहे हैं। जिस वक्त यह दीवार गिरी, उस समय सड़क किनारे चार कारें खड़ी थीं, जो मलबे की चपेट में आकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। लेकिन राहत की बात यह रही कि इन कारों में कोई मौजूद नहीं था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।

हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों में भय और गुस्से का माहौल बन गया। अफरा-तफरी के बीच लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और मलबे की ओर दौड़े। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने पहले भी इस दीवार की जर्जर हालत की शिकायत की थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। घटना स्थल पर पहुँची पुलिस और नगर निगम की टीम ने तुरंत क्षेत्र को सील कर दिया और मलबा हटाने का कार्य शुरू किया। लेकिन घटना के बाद जो सवाल उठ रहे हैं, वे कहीं ज्यादा गंभीर हैं।

नागपुर में यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे ठीक एक महीना पहले, 9 अगस्त को शहर के कोराडी क्षेत्र में महालक्ष्मी जगदंबा मंदिर में एक निर्माणाधीन प्रवेश द्वार का स्लैब अचानक गिर गया था। उस घटना में 17 मजदूर घायल हुए थे, जिनमें से तीन की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। उस समय प्रशासन ने जांच की बात कही थी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया था, लेकिन रविवार की इस नई घटना ने साबित कर दिया कि केवल बयानबाजी से कुछ नहीं होता।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि पुराने निर्माणों की समय पर जांच और मरम्मत होती, तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता था। मारवाड़ी चाल के निवासियों ने बताया कि यह दीवार लंबे समय से जर्जर स्थिति में थी। बारिश और नमी के कारण इसकी हालत और भी कमजोर हो गई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। दीवार गिरने के बाद नगर निगम की तरफ से मौके पर तत्काल जेसीबी मशीनें बुलाई गईं और मलबा हटाने का कार्य शुरू किया गया। अधिकारियों ने प्राथमिक जांच में माना कि दीवार की उम्र और देखरेख की कमी इसके गिरने का कारण बनी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर 130 साल पुरानी संरचना को अब तक उपयोग में क्यों लाया जा रहा था? क्या नगर निगम के पास इन पुरानी इमारतों और संरचनाओं का कोई सर्वे रिकॉर्ड नहीं है? क्या ऐसी घटनाओं का इंतजार किया जाता है ताकि जागरूकता की खानापूर्ति की जा सके?

प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। केवल इतना कहा गया है कि घटना की जांच की जाएगी और यदि किसी की लापरवाही पाई जाती है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जनता इस तरह की बातें पहले भी सुन चुकी है। इस हादसे से यह स्पष्ट हो जाता है कि नागपुर जैसे विकसित होते शहर में पुरानी और जर्जर इमारतें समय बम की तरह मौजूद हैं। जरूरत है एक व्यापक सर्वेक्षण और नीतिगत निर्णय की, ताकि समय रहते इन्हें गिराया जा सके या मरम्मत की जा सके।

सड़क किनारे खड़ी कारों के मालिकों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे पूरी तरह से आर्थिक नुकसान की चपेट में आ गए हैं। चारों वाहनों का बीमा होने के बावजूद प्रशासन की तरफ से मदद की उम्मीद बहुत कम है। एक कार मालिक ने कहा कि यदि दीवार गिरने से कुछ सेकंड पहले उनकी पत्नी गाड़ी से बाहर नहीं निकली होती, तो आज वह परिवार एक बड़ी क्षति झेल रहा होता। सीसीटीवी में कैद हुई फुटेज अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिससे लोग यह देख पा रहे हैं कि कितनी भयावह स्थिति थी और किस तरह चंद सेकंडों की देरी ने कई जिंदगियों को बचा लिया। वीडियो को देखकर हर कोई यही कह रहा है कि यह केवल सौभाग्य था, नहीं तो आज की सुबह एक दुखद खबर लेकर आती।

फिलहाल नगर निगम की टीमें क्षेत्र का निरीक्षण कर रही हैं और आस-पास की अन्य पुरानी दीवारों की स्थिति की भी समीक्षा की जा रही है। लेकिन जो नुकसान होना था, वह तो हो ही चुका है। नागपुर जैसे शहर में जहां मानसून के दौरान अक्सर भारी वर्षा होती है, वहां इस तरह की कमजोर दीवारें जानलेवा साबित हो सकती हैं। शहर में इस घटना ने एक बार फिर से यह बहस छेड़ दी है कि क्या केवल कागजों पर ही सुरक्षा उपायों की बात होती है या वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई होती है?

अब जरूरत है केवल प्रतिक्रिया देने की नहीं, बल्कि कार्रवाई की। शहर में एक विस्तृत सर्वेक्षण चलाया जाए, जिसमें सभी पुरानी इमारतों और दीवारों की स्थिति की गहन जांच की जाए। इसके अलावा, जिन संरचनाओं को उपयोग के योग्य नहीं माना जाता, उन्हें चिन्हित कर समय रहते ध्वस्त किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को टाला जा सके। जनता को भी चाहिए कि वे ऐसी जर्जर इमारतों की सूचना तुरंत संबंधित विभाग को दें और अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहें।

यदि आप नागपुर या किसी अन्य शहर में किसी पुरानी और जर्जर इमारत के पास रहते हैं, तो स्थानीय निकाय को जानकारी दें। अपने क्षेत्र में मौजूद ऐसी खतरनाक संरचनाओं के प्रति सतर्क रहें और दूसरों को भी जागरूक करें। समय रहते उठाया गया एक कदम आपके परिवार और समुदाय को एक बड़ा खतरा टालने में मदद कर सकता है। इस घटना ने सबक दिया है कि बुनियादी ढांचे की अनदेखी कितनी महंगी पड़ सकती है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जागे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

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By ATHAR

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