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हरिद्वार में एक बार फिर धार्मिक आस्था के नाम पर जनता को ठगने वाले ढोंगी बाबाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार के निर्देशन में चलाए जा रहे ऑपरेशन कालनेमि के तहत की गई, जो उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री के आदेश पर पूरे प्रदेश में संचालित किया जा रहा है। इस विशेष अभियान का उद्देश्य धार्मिक वेशभूषा का दुरुपयोग कर लोगों को ठगने वालों को चिन्हित कर उन पर कठोर कानूनी कार्यवाही करना है।
हरिद्वार कोतवाली नगर पुलिस ने इस ऑपरेशन के अंतर्गत ऐसे छह ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया है, जो साधु-संतों का रूप धारण कर शहर में भ्रमण कर रहे थे और आम नागरिकों को झूठे धार्मिक प्रलोभन देकर गुमराह कर रहे थे। ये सभी व्यक्ति उत्तर प्रदेश और हरियाणा से हरिद्वार आए थे और यहां धार्मिक पहचान का लाभ उठाकर भोले-भाले श्रद्धालुओं को अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रहे थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने बताया कि ये लोग ना केवल लोगों को धार्मिक तौर पर प्रभावित कर रहे थे, बल्कि धन ऐंठने, भाग्य बदलने और मनोकामनाएं पूर्ण कराने के नाम पर ठगी भी कर रहे थे। इनकी गतिविधियों पर गुप्त निगरानी रखी जा रही थी, जिसके बाद पुलिस टीम ने कोतवाली नगर क्षेत्र में दबिश देकर इन्हें हिरासत में लिया।
पकड़े गए इन छह ढोंगी बाबाओं की पहचान इस प्रकार की गई है —
पहला आरोपी शेखर उर्फ सागरनाथ ओधड़वीर, जिसकी उम्र 26 वर्ष है और जो सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के मानक मऊ इलाके से है। दूसरा आरोपी विक्रम है, जिसकी उम्र 35 वर्ष है और वह मुजफ्फरनगर जिले के ग्राम कसाबा का निवासी है। तीसरा व्यक्ति रोहिच भारती है, जो जिला जलालाबाद के ग्राम कसारी से है और 32 साल का है।
इसके अतिरिक्त महेश नाथ (45 वर्ष), जो कैथल, हरियाणा से है, सनील (28 वर्ष) जो जिला जालौन, उत्तर प्रदेश से है, और प्रवीन कुमार (48 वर्ष) जो मेरठ जिले के सरुरपुर क्षेत्र का निवासी है — इन सभी को भी कोतवाली नगर पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया है।
इन सभी आरोपियों के विरुद्ध थाना कोतवाली नगर पर भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 170 के अंतर्गत फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर जनता को गुमराह करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। धारा 170 के अंतर्गत उस व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही होती है जो खुद को किसी सरकारी या अधिकृत पदाधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता है, जबकि वह वास्तव में उस पद पर नहीं होता।
पुलिस ने इन बाबाओं से पूछताछ के दौरान पाया कि ये सभी लोग हरिद्वार के धार्मिक माहौल का दुरुपयोग कर रहे थे। ये खुद को भविष्यवक्ता, साधु, योगी या महामंडलेश्वर जैसी उपाधियों से जोड़कर प्रस्तुत कर रहे थे। साथ ही यह दावा कर रहे थे कि उनके पास विशेष आध्यात्मिक शक्तियां हैं, जिनके जरिए वे व्यक्ति की समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसी बहाने ये लोग लोगों से पैसे वसूलते थे, रुद्राक्ष, ताबीज, राख, चूरन आदि बेचते थे और अंत में किसी अन्य स्थान पर जाकर फिर वही कार्य शुरू कर देते थे।
हरिद्वार पुलिस ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है क्योंकि यह सीधे तौर पर धार्मिक आस्था, जन विश्वास और समाज के ताने-बाने से जुड़ा मामला है। धर्मनगरी हरिद्वार में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं और ऐसे में यदि कुछ व्यक्ति इस पवित्र वातावरण का दुरुपयोग करते हैं तो यह न केवल जनता के साथ धोखा है बल्कि धार्मिक छवि को भी ठेस पहुंचाता है।
पुलिस विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को संदिग्ध व्यक्ति साधु-संत के वेश में दिखाई दे जो संदिग्ध गतिविधियों में संलग्न हो, तो इसकी तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस थाने या डायल 112 पर दें। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि किसी भी व्यक्ति की बातों में आकर उसे बिना सत्यापन के पैसा न दें और न ही कोई व्यक्तिगत जानकारी साझा करें।
हरिद्वार पुलिस द्वारा समय-समय पर धार्मिक ठगों के विरुद्ध चलाए जाने वाले अभियानों से यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस अब इस तरह की ठगी और विश्वासघात की घटनाओं को लेकर बेहद सतर्क है। ऑपरेशन कालनेमि इसी का एक उदाहरण है, जिसके माध्यम से ऐसे ढोंगियों की पहचान कर उन्हें कानून के दायरे में लाया जा रहा है।
इस अभियान के तहत केवल कोतवाली नगर ही नहीं, बल्कि जिले के अन्य थाना क्षेत्रों में भी ऐसे फर्जी बाबाओं पर निगरानी रखी जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में धार्मिक स्थलों, आश्रमों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक वस्त्रों और प्रतीकों का गलत उपयोग कर समाज को धोखा न दे सके।
इस अभियान से न केवल आम जनता को राहत मिली है बल्कि धार्मिक संस्थानों और वास्तविक साधु-संतों ने भी इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे ढोंगी बाबाओं की वजह से असली साधुओं की छवि भी धूमिल होती है। यदि ऐसे तत्वों को समय रहते रोका जाए, तो समाज में धर्म और आस्था की सच्ची भावना को बनाए रखा जा सकता है।
हरिद्वार पुलिस की यह कार्यवाही आने वाले समय में फर्जी साधुओं के गिरोहों के लिए एक चेतावनी साबित होगी। इसने साफ संदेश दिया है कि अब धार्मिक पहचान के नाम पर धोखाधड़ी करना आसान नहीं होगा और कानून ऐसे लोगों को बख्शने वाला नहीं है।
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