“लक्सर जामा मस्जिद के सचिव फुरकान अहमद उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का ऑनलाइन पंजीकरण करते हुए”“लक्सर जामा मस्जिद के सचिव फुरकान अहमद उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का ऑनलाइन पंजीकरण करते हुए”

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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)

देशभर में वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है। इसी क्रम में लक्सर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद ने भी बड़ा कदम उठाया है। सचिव फुरकान अहमद ने ‘उम्मीद पोर्टल’ पर संपत्तियों का पंजीकरण शुरू कर वक्फ पारदर्शिता की नई मिसाल पेश की है।

वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम

भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने जून 2025 में ‘उम्मीद पोर्टल’ (Unified Management, Empowerment, Efficiency & Development) लॉन्च किया था।
इसका उद्देश्य देशभर की वक्फ संपत्तियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। यह पोर्टल वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के तहत तैयार किया गया है, जिसके तहत हर वक्फ संपत्ति का ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।

सचिव फुरकान अहमद ने दिखाई तत्परता

लक्सर की जामा मस्जिद, जो वदूद अली खान और महमूद अली खान द्वारा निर्मित ऐतिहासिक धरोहर है, के सचिव फुरकान अहमद ने जुलाई 2025 में हुए प्रशिक्षण सत्र के बाद अपनी संपत्तियों के पंजीकरण की शुरुआत कर दी। सचिव ने बताया —

“प्रशिक्षण सत्र में हमें पोर्टल की प्रक्रिया, ओटीपी सत्यापन और दस्तावेज़ अपलोडिंग की पूरी जानकारी दी गई। इसके बाद हमने तुरंत अपनी टीम के साथ काम शुरू किया।”

उनकी टीम में सदर रियासत खान, नायब सदर अफ़ज़ाल खान, खजांची ताहिर हसन, और सदस्य मो. यूसुफ खान, ताहिर अंसारी, मो. रफीक, शराफत खान जैसे लोग शामिल हैं। अब तक मस्जिद से जुड़ी कई दुकानें और ज़मीनें पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी हैं। लक्ष्य दिसंबर 2025 तक सभी संपत्तियों को पंजीकृत करने का है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने पोर्टल लॉन्च के समय कहा था कि —

उम्मीद पोर्टल वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी उपयोग और डिजिटली निगरानी की दिशा में भारत सरकार का ऐतिहासिक कदम है।”

साथ ही मंत्रालय ने 5 दिसंबर 2025 तक पंजीकरण की समय सीमा तय की है। इस तिथि के बाद पंजीकरण न करने वाले मुतवल्लियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है।

लक्सर क्षेत्र में जामा मस्जिद समिति की इस सक्रियता को लोगों ने सराहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी। लोगों ने मांग की है कि सचिव फुरकान अहमद को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाए, क्योंकि वे बोर्ड की नीतियों और कार्यप्रणाली की गहरी समझ रखते हैं।

देश में करीब 8.7 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं, जिनका कुल अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
इनमें से हजारों संपत्तियाँ अब तक ‘उम्मीद पोर्टल’ पर दर्ज हो चुकी हैं।

  • उत्तर प्रदेश: बदायूं में 1709 संपत्तियों का सर्वे पूरा होकर पोर्टल पर अपलोड चल रहा है।
  • वाराणसी: 1537 संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण जारी है।
  • प्रारंभिक तकनीकी दिक्कतों के बावजूद अब पोर्टल पर अपलोडिंग प्रक्रिया सहज हो चुकी है। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी ‘वक्फ हेल्प डेस्क’ बनाकर सचिवों को सहायता प्रदान करना शुरू किया है।

लक्सर जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति ने वक्फ सुधारों की दिशा में एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
यह न केवल स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता लाने वाला कदम है, बल्कि अन्य धार्मिक संस्थाओं के लिए भी प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है। जैसे-जैसे उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे भारत डिजिटल और जवाबदेह वक्फ प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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By ATHAR

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