चमोली नंदानगर आपदा प्रभावित क्षेत्र में एनडीआरएफ और पुलिस की टीम द्वारा चलाया गया रेस्क्यू अभियान।चमोली नंदानगर आपदा प्रभावित क्षेत्र में एनडीआरएफ और पुलिस की टीम द्वारा चलाया गया रेस्क्यू अभियान।

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चमोली जिले के नंदानगर घाट क्षेत्र में 17 सितंबर की रात आई आपदा के बाद लापता हुए सभी लोगों की खोज अब पूरी हो चुकी है। प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और ग्रामीणों की मदद से सात दिन तक चले अभियान के दौरान सभी शवों को बरामद कर लिया गया।

आपदा और उसका प्रभाव

उत्तराखंड का चमोली जिला भौगोलिक रूप से आपदा-प्रवण क्षेत्रों में शामिल है। यहां लगातार बारिश, भूस्खलन और अचानक आने वाली बाढ़ जैसी घटनाएँ लोगों के जीवन पर गहरा असर डालती हैं। नंदानगर घाट क्षेत्र में भी 17 सितंबर 2025 की रात आई आपदा ने कई परिवारों को गहरी पीड़ा दी। कुंतरी लगाफली, सरपाणी और धुर्मा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

घटना का विवरण

आपदा के तुरंत बाद प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया।

  • इस घटना में कुल 10 लोग लापता हो गए थे।
  • इनमें से 1 व्यक्ति को सकुशल बचाया गया।
  • कुंतरी लगाफली और सरपाणी गांवों से 7 लोगों के शव पहले ही बरामद कर परिजनों को सौंप दिए गए।
  • धुर्मा गांव की ममता देवी (38) का शव मंगलवार को मिला।
  • गुरुवार को अंतिम लापता व्यक्ति 75 वर्षीय गुमान सिंह का शव भी मोख नदी किनारे से बरामद कर लिया गया।
  • इस प्रकार सात दिन तक चले अभियान में सभी लापता लोगों की खोज पूरी हो गई है।

प्रशासन और रेस्क्यू टीम की भूमिका

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम शव बरामदगी और बचाव अभियान के दौरान ग्रामीणों के साथ काम करती हुई।

प्रशासन ने इस आपदा के बाद राहत और बचाव में कोई कसर नहीं छोड़ी।

  • एनडीआरएफ की 15वीं बटालियन (टीम 15/K) ने निरीक्षक जीडी राजवर्धन सिंह के नेतृत्व में अभियान चलाया।
  • टीम में 32 रेस्क्यूअर और 2 डॉग स्काउट शामिल थे।
  • ग्रामीणों और पुलिस बल ने भी सक्रिय सहयोग दिया।
  • अंतिम लापता व्यक्ति गुमान सिंह को खोजने में टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन लगातार प्रयासों से यह मिशन सफल हुआ।

आधिकारिक बयान

एसडीएम नंदानगर ने बताया

कि प्रशासन ने आपदा प्रभावित परिवारों को हर संभव सहयोग और राहत पहुंचाने का कार्य जारी रखा है। साथ ही पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद और पुनर्वास की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी।

स्थानीय प्रभाव

इस आपदा ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डाल दिया है।

  • प्रभावित गांवों के लोग अभी भी मानसिक और आर्थिक रूप से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।
  • बच्चों की शिक्षा और स्थानीय व्यापार पर असर पड़ा है।
  • कई परिवारों के आश्रय छिन गए, जिससे पुनर्वास की चुनौती सामने खड़ी है।
  • हालांकि, ग्रामीणों ने प्रशासन और रेस्क्यू टीम की मेहनत को सराहा है।

तुलना और आँकड़े

उत्तराखंड में वर्ष 2020 से 2025 तक 50 से अधिक बार बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएँ सामने आई हैं। 2021 में चमोली की ऋषिगंगा आपदा ने भी कई जानें ली थीं। नंदानगर घाट की यह आपदा उसी कड़ी की एक और त्रासदी साबित हुई।

नंदानगर आपदा में सभी लापता लोगों की खोज पूरी हो चुकी है, लेकिन प्रभावित परिवारों की पीड़ा अभी भी बरकरार है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है। प्रशासन और आम जनता को मिलकर आपदा पूर्व तैयारियों पर ध्यान देना होगा ताकि भविष्य में जनहानि को रोका जा सके।

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By ATHAR

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