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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
हरिद्वार के भेल (BHEL) क्षेत्र में रविवार रात फिर एक बार गुलदार (तेंदुआ) की दस्तक से हड़कंप मच गया।
राजाजी टाइगर रिजर्व से भटककर आया यह गुलदार सेक्टर-4 स्थित डिस्पेंसरी परिसर में सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ, जिससे कर्मचारियों में दहशत फैल गई। स्थानीय लोगों ने वन विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
जंगल से शहर की ओर बढ़ रहे हैं जंगली जीव
पिछले कुछ वर्षों में हरिद्वार जिले के शहरी इलाकों में वन्यजीवों का आबादी की ओर बढ़ना एक बड़ी चिंता बन गया है।
राजाजी टाइगर रिजर्व और इसके आसपास की कॉलोनियों में कई बार हाथी, गुलदार और अन्य जंगली जीवों को घूमते हुए देखा गया है। पर्यावरणविदों का मानना है कि जंगलों में लगातार घटते प्राकृतिक संसाधन और इंसानी दखल बढ़ने से ये वन्यजीव आहार और पानी की तलाश में आबादी की ओर आ रहे हैं।
घटना
रविवार, 19 अक्टूबर 2025 की रात को भेल सेक्टर-4 स्थित डिस्पेंसरी परिसर में गुलदार घूमता हुआ सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दिया।
ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने जब स्क्रीन पर गुलदार को देखा तो मौके पर अफरातफरी मच गई।
सूत्रों के अनुसार, गुलदार कुछ देर तक परिसर में टहलता रहा और बाद में अंधेरे में ओझल हो गया। यह कोई पहली घटना नहीं है — पूर्व में भी भेल और इसके आसपास गुलदार की कई बार चहलकदमी देखी जा चुकी है।
कई मौकों पर इन हमलों में लोग घायल भी हुए हैं।
स्थानीय लोग अब रात में बाहर निकलने से डरने लगे हैं।
भेल कर्मचारी संघ के वरिष्ठ नेता राजबीर सिंह चौहान ने कहा —
वन विभाग को तत्काल कदम उठाने चाहिए। गुलदार का बार-बार भेल क्षेत्र में आना कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।”
उन्होंने कहा कि यह घटना सिर्फ वन विभाग की लापरवाही नहीं बल्कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने गश्ती दलों और ट्रैप कैमरे बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, ताकि गुलदार की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके।
हालांकि, अभी तक किसी गुलदार को पकड़ा नहीं जा सका है।
भेल क्षेत्र और इसके आसपास के सेक्टरों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
कई कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने अपने बच्चों को शाम के बाद बाहर खेलने भेजना बंद कर दिया है।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि रात के समय ग्राहक कम हो गए हैं क्योंकि लोग डर के कारण जल्दी घर लौट जाते हैं। जगजीतपुर, लकसर रोड और सुभाष नगर की कालोनियों में भी हाथियों के झुंडों के वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
वन विभाग की कार्रवाई और चुनौतियाँ
वन विभाग ने बताया कि गुलदार की निगरानी के लिए टीमें तैनात की गई हैं और आसपास के इलाकों में ट्रैप कैमरे और पिंजरे लगाए जा रहे हैं।
लेकिन क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और जंगल से सटी सीमाएं होने के कारण इन कदमों का असर सीमित है।
स्थानीय पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, जब तक जंगल और शहर के बीच एक सुरक्षित बफर ज़ोन नहीं बनाया जाता, तब तक ऐसी घटनाएं जारी रहेंगी।
पिछले एक वर्ष में हरिद्वार जिले में से अधिक बार गुलदार और हाथियों के आबादी क्षेत्र में आने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। साल 2024 में भेल और आसपास के इलाकों में लोगों के घायल होने की सूचना भी सामने आई थी।
विशेषज्ञों के मुताबिक, राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमाओं के पास बसे क्षेत्रों में आबादी और औद्योगिक विस्तार इन घटनाओं को बढ़ा रहे हैं।
जनता की चिंता: सुरक्षा को लेकर सवाल
स्थानीय निवासी ने कहा कि वन विभाग की ओर से केवल बयानबाज़ी होती है, लेकिन मौके पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखती। कई लोगों ने मांग की है कि रात के समय गश्त बढ़ाई जाए और गुलदार को ट्रैंक्विलाइज़र गन से पकड़ने की प्रक्रिया तेज की जाए। लोगों का कहना है कि हर रात डर के साए में जीना अब आम हो गया है।
भेल में गुलदार की दस्तक ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वन विभाग को अब केवल निगरानी नहीं, बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में काम करना होगा।
जब तक जंगल और शहर के बीच की दूरी “सुरक्षित सीमा” में नहीं लाई जाती, तब तक ऐसी घटनाएं जनता के लिए खतरा बनी रहेंगी। स्थानीय लोगों ने अपील की है कि विभाग त्वरित कदम उठाए ताकि अगली बार यह “दस्तक” किसी बड़े हादसे में न बदल जाए।
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