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वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के दरबार में रविवार को एक हाई-टेक सुरक्षा सेंध का मामला सामने आया, जब एक एनआरआई श्रद्धालु गूगल ग्लास कैमरा लगाकर मंदिर परिसर के अंदर तक पहुंच गया। सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता से मामला तुरंत पकड़ में आया, जिसके बाद एटीएस ने उससे लंबी पूछताछ की।
श्री काशी विश्वनाथ धाम उत्तर प्रदेश का सबसे संवेदनशील धार्मिक स्थल माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में विकसित इस कॉरिडोर में हर दिन हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को Z-लेवल के करीब का दर्जा दिया गया है, क्योंकि यहां हर समय आतंकी खतरे की आशंका बनी रहती है। मंदिर परिसर में कई स्तरीय जांच व्यवस्था — मेटल डिटेक्टर, CCTV कैमरे और बम निरोधक दस्ते — लगातार निगरानी करते हैं। ऐसे में किसी श्रद्धालु का गूगल ग्लास जैसी स्मार्ट डिवाइस के साथ अंदर पहुंच जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
घटना

तारीख: 15 अक्टूबर 2025
स्थान: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
रविवार को एक अप्रवासी भारतीय (NRI) अपने परिवार के साथ बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आया। वह सभी सुरक्षा जांचों से गुजरते हुए एक गूगल ग्लास जैसा स्मार्ट चश्मा पहनकर मंदिर के मुख्य परिसर में पहुंच गया।
सुरक्षा जांच में यह डिवाइस सामान्य चश्मे जैसा दिखने के कारण पकड़ा नहीं जा सका। जब वह मुख्य गर्भगृह के पास अपनी मां की तस्वीरें खींचने लगा, तभी एक सतर्क सुरक्षाकर्मी की नजर उस पर पड़ी। तत्काल सुरक्षा टीम ने उसे पकड़कर हिरासत में लिया और मंदिर परिसर से बाहर ले गई।
सूत्रों के अनुसार, मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस, एटीएस (Anti-Terrorism Squad) और खुफिया एजेंसियों ने मौके पर पहुंचकर संदिग्ध व्यक्ति से कई घंटों तक पूछताछ की।
पूछताछ में यह पाया गया कि व्यक्ति का कोई गलत इरादा नहीं था और उसने यह डिवाइस महज यादें संजोने के उद्देश्य से पहना था। हालांकि, सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर उसे कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
गूगल ग्लास
गूगल द्वारा विकसित यह स्मार्ट चश्मा (Google Glass) दिखने में साधारण चश्मे जैसा होता है, लेकिन इसमें इनबिल्ट कैमरा, डिस्प्ले स्क्रीन और इंटरनेट कनेक्टिविटी होती है।
यह चश्मा पहनने वाला व्यक्ति फोटो, वीडियो रिकॉर्डिंग या लाइव स्ट्रीमिंग कर सकता है, और बाहर से यह सामान्य चश्मे जैसा ही दिखाई देता है।
इसी कारण सुरक्षा एजेंसियां इसे “संभावित जासूसी उपकरण” के रूप में देखती हैं।
इस घटना के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
मंदिर प्रशासन ने उस प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को चेतावनी दी है, जहां से यह व्यक्ति अंदर गया था।
अब उच्चाधिकारियों ने सुरक्षा जांच प्रक्रिया की समीक्षा और नई तकनीकी प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, स्मार्टवॉच या चश्मा जैसे उपकरण लेकर अंदर प्रवेश न करें।
पिछले एक वर्ष में काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा में ऐसी [
पिछले एक वर्ष में काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा में किसी भी बड़े सुरक्षा उल्लंघन की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। मंदिर परिसर में सुरक्षा बनाए रखने के लिए नियमित उपाय किए जाते हैं, जैसे कि विभिन्न त्योहारों या विशेष आयोजनों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को और भी कड़ा किया जाता है, जैसा कि महाशिवरात्रि के दौरान देखा गया था। हालांकि, इस अवधि के दौरान कोई भी गंभीर उल्लंघन या घटना दर्ज नहीं की गई है। सुरक्षा उल्लंघन की संख्या या रिपोर्टेड घटनाएं दर्ज की गई हैं।
यह पहली बार है जब किसी ने स्मार्ट गैजेट के जरिए सुरक्षा जांच को पार किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना “टेक्नोलॉजिकल थ्रेट” की नई चुनौती को दर्शाती है, जिसके लिए पुलिस और सुरक्षा बलों को AI-आधारित डिटेक्शन सिस्टम अपनाने की जरूरत है।
उसी दिन, पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा ने भी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया।
उन्होंने बताया कि पिछली बार 2022 में बाबा के दर्शन के बाद उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाया था और उनकी मन्नत पूरी हुई थी। पुजारा का यह बयान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बन गया।
एनआरआई द्वारा गूगल ग्लास पहनकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश की यह घटना बताती है कि आधुनिक तकनीक किस तरह सुरक्षा व्यवस्थाओं को चुनौती दे रही है।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चेतावनी है कि उन्हें पारंपरिक जांच प्रणालियों से आगे बढ़कर स्मार्ट डिवाइस की पहचान के लिए नई तकनीकों को अपनाना होगा।
श्रद्धालुओं से भी अपील की गई है कि वे धार्मिक स्थलों में तकनीकी उपकरणों के उपयोग से परहेज करें, ताकि मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा दोनों बनी रहें।
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