"हरीश रावत और कांग्रेस विधायकों की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की तस्वीर।"कांग्रेस विधायकों की मुख्य सचिव से मुलाकात, मदरसों पर कार्रवाई का विरोध

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देहरादून, 27 मार्च 2025। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल आज मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से सचिवालय में मिला।

मुलाकात के दौरान राज्य में मदरसों पर की जा रही कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई गई।इस दौरान हरीश रावत ने कहा कि सभी मदरसों को एक ही श्रेणी में रखकर उन पर कार्यवाही करना अनुचित है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि केवल उन्हीं मदरसों का पंजीकरण कराया जाए, जहां उर्दू, फारसी या मौलवियत की डिग्री दी जाती है। लेकिन जहां सिर्फ कुरान, कायदा और इबादत की तालीम दी जाती है, वहां कार्रवाई गलत है।

बैठक में शामिल प्रमुख नेता

इस बैठक में कांग्रेस के कई बड़े नेता और विधायक मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे: पूर्व मुख्यमंत्री: हरीश रावत ,विधायक: काजी निजामुद्दीन, ममता राकेश, फुरकान अहमद, रवि बहादुर, अनुपमा रावत, वीरेंद्र जट्टी, आदेश चौहान अन्य नेता: वीरेंद्र रावत, जिला अध्यक्ष राजीव चौधरी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव अफाक अली

मदरसों पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस की आपत्ति

1. धार्मिक शिक्षा पर कार्रवाई का विरोध हरीश रावत ने कहा कि अगर किसी जगह पर सिर्फ कुरान, गीता, बाइबल या गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षा दी जा रही है, तो उस पर कार्रवाई करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार पूजा और इबादत करने की पूरी स्वतंत्रता है।

2. मदरसों की श्रेणियों को स्पष्ट करने की मांग हरीश रावत ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कौन से मदरसों को पंजीकरण कराना आवश्यक है।अगर किसी संस्थान में उर्दू, फारसी, मौलवियत की पढ़ाई होती है, तो उसका पंजीकरण जरूरी हो सकता है।लेकिन जो संस्थान सिर्फ धार्मिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, उन पर सरकार की मनमानी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

3. छह महीने का नोटिस देकर कार्यवाही करने की अपील बैठक में मौजूद विधायकों ने एकमत होकर कहा कि मदरसों या धार्मिक शिक्षा देने वाले स्थानों पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले कम से कम छह महीने का नोटिस दिया जाए।

वन गुर्जरों की संपत्ति पर सीलिंग का मुद्दा

बैठक में राव अफाक अली ने वन गुर्जरों की निजी जमीन पर बनी इमारतों को लेकर भी मामला उठाया। उन्होंने बताया कि कुछ वन गुर्जरों के घरों और धार्मिक स्थलों को अवैध बताकर प्रशासन ने हाल ही में सील कर दिया है।

राव अफाक अली ने कहा:

“हमारी निजी संपत्ति को बिना कोई पूर्व सूचना दिए सील कर दिया गया।”

“यह न तो मस्जिद है, न ही मदरसा, बल्कि यह चार वन गुजर परिवारों का निजी स्थान है, जहां वे अपने बच्चों को कुरान और नमाज की शिक्षा देते हैं।”

“हमने इसका उचित सोसाइटी रजिस्ट्रेशन भी मुख्य सचिव को सौंपा है और तत्काल इसे खोलने की अपील की है।”

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री दिल्ली से लौटने के बाद इस मामले को उनके संज्ञान में लाया जाएगा और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस का स्पष्ट रुख: धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा

बैठक के दौरान कांग्रेस विधायकों ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी धार्मिक समुदाय की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाना या उसे सीमित करना, संविधान के खिलाफ है।

उन्होंने मांग की कि:सरकार धार्मिक शिक्षण संस्थानों को छह महीने पहले नोटिस दे, ताकि वे अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें।धार्मिक स्थलों पर किसी भी तरह की जबरन कार्रवाई रोकी जाए।

जो भी संस्थान गीता, रामायण, बाइबल, इंजील, गुरु ग्रंथ साहिब या कुरान की शिक्षा दे रहे हैं, उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के तहत कार्य करने दिया जाए।

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By ATHAR

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