"हरिद्वार में आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के समापन समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।"मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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हरिद्वार, मार्च 2025: पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव का समापन समारोह भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया और भारतीय संस्कृति, सनातन परंपरा और वेदों के महत्व पर अपने विचार साझा किए।

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विद्वानों और शोधार्थियों का भव्य स्वागत

मुख्यमंत्री ने देशभर के 25 से अधिक राज्यों और नेपाल से आए विद्वानों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान को वैश्विक स्तर पर पुनर्स्थापित करने की जिम्मेदारी हमारी नई पीढ़ी की है।

उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित और प्रचारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। शास्त्रोत्सव के दौरान विभिन्न शास्त्र प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जो प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगा।

भारतीय ज्ञान परंपरा की महिमा

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारे वेद, उपनिषद और पुराण मात्र धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने का माध्यम हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि –

✔ भारतीय गणितज्ञों ने शून्य और दशमलव की अवधारणा दी, जिस पर आज पूरा आधुनिक विज्ञान टिका हुआ है।

✔ हमारे वैदिक ग्रंथों में खगोल शास्त्र, चिकित्सा, गणित और भौतिकी से जुड़े महत्वपूर्ण सिद्धांत निहित हैं, जिन्हें आज आधुनिक विज्ञान भी अपनाता है।उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि, चरक, सुश्रुत और आर्यभट्ट जैसे महान ऋषियों ने भारत को ज्ञान का केंद्र बनाया था, और अब यह जिम्मेदारी युवा पीढ़ी की है कि वे इस धरोहर को आगे बढ़ाएं।

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वेदों और उपनिषदों के प्रचार-प्रसार पर जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि रामायण और महाभारत की कहानियां तो सभी जानते हैं, लेकिन वेदों और उपनिषदों का गूढ़ ज्ञान आमजन तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने उपस्थित विद्वानों से युवा पीढ़ी को वेदों के अध्ययन के प्रति प्रेरित करने के तरीकों पर विचार करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों को आधुनिक संदर्भों में सरल और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करने की जरूरत है, ताकि युवा इन्हें रुचि से पढ़ें और इनकी गहराई को समझ सकें।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान को वैश्विक पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी धार्मिक स्थलों के नवनिर्माण और पुनरुद्धार पर लगातार कार्य कर रही है।

उन्होंने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को जन-जन तक पहुंचाने का जो अभियान शुरू किया है, उसके सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं।

समारोह में शामिल गणमान्य व्यक्ति

इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित विद्वानों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं – योगगुरु बाबा रामदेव , केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण , विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान ,महापौर अनीता अग्रवाल, जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल भाजपा जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा सैकड़ों छात्र-छात्राएं और शोधार्थी

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➡ क्या आपको लगता है कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए? अपनी राय कमेंट करें।

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By ATHAR

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