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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
डिजिटल युग में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के लिए एम्स ऋषिकेश में पुलिस अधीक्षक अपराध/यातायात जितेंद्र मेहरा (IPS) ने एक विशेष साइबर अवेयरनेस पाठशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में लगभग 150 एम्स स्टाफ ने हिस्सा लिया और साइबर सुरक्षा के महत्व को समझा।
साइबर जागरूकता?

आज के दौर में इंटरनेट और मोबाइल फोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल पेमेंट, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स ने जहां जीवन को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों के लिए भी नए रास्ते खोल दिए हैं। हाल के वर्षों में उत्तराखंड समेत पूरे देश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
कब और कैसे हुआ आयोजन
तारीख: 3 अक्टूबर 2025
स्थान: एम्स ऋषिकेश
आयोजक: पुलिस अधीक्षक अपराध/यातायात जितेंद्र मेहरा (IPS)कार्यक्रम के दौरान एसपी जितेंद्र मेहरा ने एम्स के ट्रेनी डॉक्टरों और स्टाफ को विस्तार से बताया कि किस प्रकार छोटी-सी लापरवाही बड़े आर्थिक और सामाजिक नुकसान का कारण बन सकती है।
साइबर अपराधों पर हुई चर्चा

इस विशेष पाठशाला में साइबर अपराधों के विभिन्न प्रकारों पर विस्तार से जानकारी दी गई, जिनमें शामिल हैं:
- डिजिटल अरेस्ट
- केवाईसी अपडेट फ्रॉड
- OTP शेयरिंग धोखाधड़ी
- ऑनलाइन लोन और ठगी के नए तरीके
- उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि अपराधी किस प्रकार लोगों को भ्रमित करके उनकी निजी और वित्तीय जानकारी हासिल कर लेते हैं।
आधिकारिक बयान
पुलिस अधीक्षक अपराध/यातायात जितेंद्र मेहरा ने कहा:
डिजिटल युग में जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। किसी भी संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधि की स्थिति में तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।”
स्वास्थ्य संस्थानों पर सुरक्षा की जरूरत

एम्स जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स, नर्स और स्टाफ डिजिटल सेवाओं का उपयोग करते हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता बेहद अहम है।
- स्टाफ अब ज्यादा सतर्क रहेगा।
- ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में कमी आने की उम्मीद है।
- आम जनता को भी अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा का लाभ मिलेगा क्योंकि डॉक्टर और हेल्थ स्टाफ सुरक्षित डिजिटल प्रथाओं का पालन करेंगे।
तुलना और आँकड़े
हाल के वर्षों में साइबर अपराधों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। NCRB की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड पुलिस डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध से बचाव के लिए नियमित रूप से जागरूकता अभियान चला रही है, जिनमें छात्रों, कर्मचारियों और आम जनता को <OTP या बैंक की जानकारी साझा न करने, अनजान लिंक व ऐप से दूर रहने, और साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करने की सलाह दी जा रही है। इन अभियानों में पुलिस की साइबर सेल की टीमें शामिल होती हैं और समाज के विभिन्न वर्गों को लक्षित किया जाता है, जैसे कि विद्यालयों और कार्यस्थलों में ठीक है। भारत में हर साल लाखों लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं। उत्तराखंड पुलिस भी लगातार साइबर जागरूकता अभियान चला रही है, जिनसे आम जनता को सजग किया जा रहा है।
एम्स ऋषिकेश में आयोजित यह साइबर अवेयरनेस पाठशाला न सिर्फ स्टाफ बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि डिजिटल युग में सावधानी ही सबसे बड़ी ढाल है।
- अनजान कॉल या लिंक पर भरोसा न करें।
- OTP और बैंक डिटेल किसी के साथ साझा न करें।
- साइबर अपराध की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 1930 ही आपका पहला सहारा है।
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