हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज रायसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आगाज, शिक्षा और लोक साहित्य के संगम से सजे विचारों के मंचशिक्षा और लोक साहित्य के संगम से सजे विचारों के मंच
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रिपोर्टर फरमान खान

Haridwar News :लक्सर। Harsh Vidya Mandir PG College हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज रायसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आगाज उत्तराखंड की जनजातियों में सामाजिक मूल्यों के संरक्षण में शिक्षा और लोक साहित्य की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का पहला दिन हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज रायसी लक्सर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस संगोष्ठी को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा प्रायोजित किया गया, जिसमें देशभर से शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया।

संगोष्ठी का उद्घाटन प्रोफेसर हरवीर सिंह रंधावा (अध्यक्ष, सहायता प्राप्त महाविद्यालय उत्तराखंड संगठन) ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि लोक साहित्य और शिक्षा जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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विशिष्ट अतिथि डॉ. वीके शर्मा (डीन, शिक्षा संकाय, ग्लोबल विश्वविद्यालय सहारनपुर) ने शिक्षा और समाज के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परंपराओं और आधुनिकता का सामंजस्य शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। वहीं, मुख्य वक्ता प्रोफेसर गोपीनाथ शर्मा (सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं डीन, वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान) ने लोक साहित्य की महत्ता पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज का लोक साहित्य न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह उनके सामाजिक मूल्यों और परंपराओं का जीवंत दस्तावेज भी है।

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संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. केपी सिंह (सचिव एवं ब्लॉक प्रमुख) ने की। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के विमर्श समाज को नई दिशा देने में सहायक होते हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. हर्ष कुमार दौलत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के महत्व को रेखांकित किया। आयोजन सचिव डॉ. केपी तोमर ने विषय प्रवर्तन करते हुए संगोष्ठी की थीम पर प्रकाश डाला और बताया कि यह शोधार्थियों के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान कर रही है।

तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. किरण बाला ने की, जिसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में डॉ. कुलदीप सिंह टंडवाल, डॉ. विक्की तोमर, डॉ. सुरजीत कौर और डॉ. निशा पाल ने अपने विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने शिक्षा और लोक साहित्य के माध्यम से जनजातीय समाज में नैतिक मूल्यों के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. वर्षा रानी, डॉ. विनीत भार्गव, डॉ. प्रशांत कुमार और डॉ. नीतू राम ने किया। संगोष्ठी के पहले दिन उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित 12 राज्यों के शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस दौरान शिक्षा, समाज और लोक साहित्य से जुड़े विविध विषयों पर गहन चर्चा हुई।

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By Aman

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