रिपोर्ट जतिन
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हरिद्वार जनपद में 16 सितंबर से 02 अक्टूबर तक स्वच्छता अभियान की विशेष शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में चलाए जा रहे इस अभियान को केवल सरकारी आदेश के रूप में नहीं, बल्कि जनआंदोलन का स्वरूप देने की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य शहर से लेकर गांव तक हर जगह सफाई को बढ़ावा देना और गंगा नदी को निर्मल एवं अविरल बनाए रखना है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सभी जिलास्तरीय अधिकारियों को इस अभियान की जिम्मेदारी सौंपी है, जिससे हर स्तर पर जवाबदेही तय की जा सके।
इस विशेष स्वच्छता सफाई अभियान की शुरुआत आज जनपद में हुई, जिसमें स्वयं जिलाधिकारी समेत कई जिलास्तरीय अधिकारियों ने हाथ में झाड़ू उठाकर सफाई अभियान में हिस्सा लिया। उनका संदेश साफ था कि जब जिम्मेदार अधिकारी खुद इस कार्य में उतरेंगे, तो आम नागरिक भी प्रेरित होंगे और अभियान सफल बनेगा।

हरिद्वार का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से विशेष है। यहां रोजाना हजारों लोग गंगा स्नान के लिए आते हैं। इस कारण घाटों और आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है। अभियान की रूपरेखा इस तरह से बनाई गई है कि गंगा किनारे स्थित घाटों से लेकर शहर के भीड़भाड़ वाले बाजारों, सार्वजनिक स्थलों, ब्लॉक मुख्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों तक सफाई सुनिश्चित की जा सके।
स्वच्छता अभियान के तहत वाल्मीकि चौक से हरकी पौड़ी तक, शंकराचार्य चौक से सिंहद्वार तक, ओम पुल घाट, बैरागी कैंप, रोड़ीबेलवाला मैदान, दुधाधारी फ्लाईओवर भूपतवाला, पंतद्वीप घाट, चंडी घाट, वाल्मीकि घाट और रुड़की क्षेत्र में विशेष सफाई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन जगहों पर न केवल सफाई कर्मी बल्कि अधिकारी और स्वयंसेवी संस्थाएं भी सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।

स्वच्छ भारत मिशन का मुख्य लक्ष्य केवल सफाई तक सीमित नहीं है। यह अभियान जनजागरूकता का भी प्रतीक है। जिलाधिकारी ने कहा कि जब तक लोग खुद सफाई को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानेंगे, तब तक अभियान अधूरा रहेगा। इसलिए आम जनता से भी अपील की गई है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें और अपने घर, गली, मोहल्ले और कार्यस्थलों पर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
स्वच्छता अभियान में गंगा नदी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गंगा घाटों पर रोजाना लाखों की संख्या में लोग स्नान और पूजा करने आते हैं, जिससे प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने घाटों पर अतिरिक्त सफाई कर्मियों की तैनाती की है। साथ ही, कचरा संग्रहण और निस्तारण की व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया गया है।

अभियान का सबसे प्रेरणादायी पहलू यह है कि अधिकारी खुद मैदान में उतरे। यह दृश्य आम लोगों को साफ संदेश देता है कि सफाई केवल कर्मचारियों का कार्य नहीं है, बल्कि यह सभी का दायित्व है। जब शीर्ष अधिकारी झाड़ू उठाकर सफाई करेंगे, तो आम लोग भी इससे प्रभावित होकर जुड़ेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह अभियान उतनी ही मजबूती से चलाया जा रहा है। गांवों में पंचायत प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे स्थानीय स्तर पर सफाई कार्यक्रमों का संचालन करें। पंचायत भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल और मंदिर जैसे सार्वजनिक स्थलों को विशेष रूप से स्वच्छ बनाया जा रहा है।

यह अभियान केवल सफाई पर ही नहीं रुकता, बल्कि इसमें कचरे के प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर भी जोर दिया जा रहा है। हरिद्वार प्रशासन ने साफ-सफाई के साथ-साथ प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए दुकानदारों और स्थानीय नागरिकों से अपील की गई है कि वे सिंगल-यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करें।
अभियान की सफलता के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों को इसमें शामिल किया गया है। विद्यार्थियों को निबंध लेखन, भाषण और रैली के माध्यम से स्वच्छता का महत्व बताया जा रहा है। इस तरह नई पीढ़ी को स्वच्छ भारत का सच्चा वाहक बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

हरिद्वार प्रशासन का मानना है कि स्वच्छता केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। स्वच्छ शहर और स्वच्छ घाट ही पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करेंगे। इससे न केवल हरिद्वार की छवि निखरेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा।
अभियान की अवधि 16 सितंबर से 02 अक्टूबर तक निर्धारित की गई है। यह अवधि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 02 अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती है, जिन्होंने हमेशा स्वच्छता और सत्याग्रह को जीवन का मूलमंत्र माना। गांधी जी के स्वच्छता के सपने को साकार करने के लिए ही यह अभियान उनके जन्मदिवस तक चलाया जा रहा है।
अभियान की खास बात यह है कि इसमें केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक संस्थाएं, व्यापारी संगठन और आम जनता सभी इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं। इसका लक्ष्य केवल दो सप्ताह का सफाई कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक स्थायी स्वच्छता संस्कृति विकसित करना है।

स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है। साफ वातावरण बीमारियों से बचाता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। इसलिए यह अभियान न केवल आज के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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