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हरिद्वार वन प्रभाग की रुड़की रेंज टीम ने सर्प तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए फरार चल रहे मुख्य आरोपी नितिन कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के पास से सर्प विष भी बरामद किया गया है। यह वही मामला है जिसमें पिछले महीने टीम ने 70 कोबरा और 16 रसेल वाइपर बरामद किए थे।
वन्यजीव तस्करी—पर्यावरण के लिए बढ़ता खतरा
वन्यजीवों की तस्करी भारत में एक गंभीर अपराध मानी जाती है, जो न केवल जैव विविधता को नुकसान पहुँचाती है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को भी प्रभावित करती है।
हरिद्वार और रुड़की जैसे क्षेत्रों में, जहाँ जंगल और मानव बस्तियाँ नजदीक हैं, इस तरह की अवैध गतिविधियाँ समय-समय पर सामने आती रहती हैं। सर्प तस्करी विशेष रूप से इसलिए खतरनाक मानी जाती है क्योंकि यह न केवल दुर्लभ प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डालती है, बल्कि सर्प विष के अवैध व्यापार से जुड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क को भी बढ़ावा देती है।
घटना
दिनांक 9 सितंबर 2025 को हरिद्वार वन प्रभाग की रुड़की रेंज टीम ने ग्राम खंजरपुर में एक बड़े ऑपरेशन के दौरान 70 कोबरा और 16 रसेल वाइपर प्रजाति के सांप बरामद किए थे।
छापेमारी के दौरान मुख्य आरोपी नितिन कुमार पुत्र सत्यपाल सिंह, निवासी मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) मौके से फरार हो गया था। मामले में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (संशोधित 2023) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
टीम ने फरार आरोपी की तलाश में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में लगातार दबिश दी। अंततः मुखबिर की सूचना पर नारसन क्षेत्र से आरोपी नितिन कुमार को गिरफ्तार किया गया। उसके पास से सर्प विष की शीशी भी बरामद की गई है, जो आगे की जांच के लिए लैब भेजी जाएगी।
वन विभाग का ‘जीरो टॉलरेंस’ रुख
एसडीओ (वन विभाग) पूनम कैंथोला ने बताया —
वन्यजीवों की तस्करी पर्यावरण और जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा है। हमारा विभाग इस तरह के अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रहा है। आमजन से अपील है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत विभाग को दें।”
उन्होंने यह भी बताया कि उप वन संरक्षक, हरिद्वार वन प्रभाग के निर्देशन में तीन विशेष टीमों का गठन किया गया था, जिन्होंने लगातार तीन राज्यों में दबिश दी।
इससे पहले 16 सितंबर को इसी मामले में आरोपी के सहयोगी विष्णु पंत, जो सर्प विष संग्रहण केंद्र में केयरटेकर था, को ऋषिकेश से गिरफ्तार किया गया था।
इस सफल कार्रवाई में प्रमुख रूप से शामिल रहे —
- वन क्षेत्राधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी
- विनय कुमार राठी
- वन आरक्षी सौरभ सैनी
- वाहन चालक राहुल चौहान
- इन अधिकारियों की सतर्कता और रणनीति के कारण फरार आरोपी को आखिरकार पकड़ लिया गया।
रुड़की-नारसन क्षेत्र में राहत और जागरूकता
इस गिरफ्तारी से रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ा है।
स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है कि अब इस अवैध नेटवर्क का एक बड़ा सिरा कानून के शिकंजे में है।
वन विभाग की यह कार्रवाई क्षेत्र में पर्यावरण सुरक्षा और अवैध वन्यजीव व्यापार रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
हरिद्वार वन विभाग की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि अब तस्करों के लिए कोई ढील नहीं।
सर्प विष और वन्यजीवों की तस्करी केवल एक अपराध नहीं, बल्कि प्रकृति के खिलाफ युद्ध है।
विभाग ने जनता से अपील की है कि वे ऐसे अपराधों की सूचना तुरंत दें ताकि प्रकृति और जीव-जंतुओं की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उत्तराखंड में पिछले तीन वर्षों में वन्यजीव तस्करी या सर्प विष व्यापार के मामलों का आँकड़ा]
वन्यजीव संरक्षण संगठनों के अनुसार, भारत में हर साल सर्प विष की तस्करी के सैकड़ों मामले सामने आते हैं।
इन मामलों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की अहम भूमिका रहती है, जहाँ से सांपों को पकड़कर तस्करी नेटवर्क को सप्लाई किया जाता है।
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