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हरिद्वार जिले के औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री निरीक्षण के दौरान लेबर इंस्पेक्टर मीनाक्षी भट्ट के साथ विवाद की स्थिति पैदा हो गई। आरोप है कि फैक्ट्री मालिकों और उद्यमियों ने उनका घेराव कर बंधक बनाने की कोशिश की। यह मामला तब सामने आया जब लेबर इंस्पेक्टर ने फैक्ट्री में बाल मजदूरों को काम करते हुए पाया।
घटना का विवरण
लेबर इंस्पेक्टर मीनाक्षी भट्ट ने बताया कि वे औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में निरीक्षण करने पहुंची थीं। निरीक्षण के दौरान उन्होंने फैक्ट्री में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा, जो स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है। मीनाक्षी भट्ट ने इस पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही।
फैक्ट्री मालिकों का पक्ष
वहीं, दूसरी ओर इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि लेबर इंस्पेक्टर ने बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमति के फैक्ट्री में प्रवेश किया, जो नियमों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि निरीक्षण के लिए पहले नोटिस देना अनिवार्य होता है, लेकिन इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
विवाद की स्थिति
इस विवाद के दौरान फैक्ट्री मालिकों और इंस्पेक्टर के बीच तीखी बहस हुई। इंस्पेक्टर ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री मालिकों ने उनका घेराव कर उन्हें बंधक बनाने की कोशिश की। हालांकि, इंडस्ट्री एसोसिएशन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह घेराव नहीं था, बल्कि वे अपने पक्ष को स्पष्ट करने का प्रयास कर रहे थे।
कानूनी कार्रवाई की संभावना

लेबर इंस्पेक्टर मीनाक्षी भट्ट ने कहा कि बाल मजदूरी कानून का गंभीर उल्लंघन है, और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अपने विभाग को पूरे मामले की रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं, इंडस्ट्री एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे को उच्चाधिकारियों के समक्ष ले जाने की बात कही है।
निष्कर्ष
यह घटना सरकारी निरीक्षण और औद्योगिक प्रक्रियाओं के बीच तालमेल की कमी को उजागर करती है। जहां एक ओर बाल मजदूरी जैसी समस्याओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर निरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मामले की निष्पक्ष जांच कर दोनों पक्षों के दावों की सच्चाई सामने लाना जरूरी है।