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लक्सर स्थित जेएसएस नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज में 10वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर आयुर्वेद के महत्व और उसके वैश्विक स्वास्थ्य में योगदान पर चर्चा की गई, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और स्वास्थ्य पेशेवरों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
आयुर्वेद दिवस की शुरुआत और महत्व
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर वर्ष धन्वंतरि जयंती पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी, जिसका उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुँचाना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ जोड़ना है। यह दिन न केवल आयुर्वेद के वैज्ञानिक और चिकित्सीय योगदान को मान्यता देने का अवसर है, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में इसके व्यापक उपयोग को भी बढ़ावा देता है। इस वर्ष की थीम “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” रखी गई, जिसने इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति को आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान और तकनीक से जोड़ने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया।
कार्यक्रम का आयोजन और मुख्य आकर्षण
लक्सर के रायसी स्थित जेएसएस नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज में इस अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों पर आधारित प्रदर्शनी प्रस्तुत की। प्रदर्शनी में औषधीय पौधों के चिकित्सीय लाभों और उनके उपयोग के तरीके को समझाया गया।

इसके अलावा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर कार्यशालाएँ भी आयोजित की गईं, जिनमें पैरामेडिकल छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इन कार्यशालाओं ने छात्रों को यह समझने का अवसर दिया कि आयुर्वेदिक पद्धति केवल औषधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनशैली और स्वास्थ्य अनुशासन से भी गहराई से जुड़ी है।
अधिकारियों और शिक्षकों के विचार
कॉलेज के चेयरमैन डॉ. कटार सिंह ने अपने संबोधन में कहा:
“आयुर्वेद न केवल भारत की प्राचीन विरासत है, बल्कि यह आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान भी प्रस्तुत करता है।”
इसके अलावा, कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों में डॉ. भावेश कुमार, प्रोफेसर अमन कुमार, प्रोफेसर विशांत चौहान, प्रोफेसर अनुष्का थापा और प्रोफेसर रितेश दीपक कुमार शामिल रहे। शिक्षकों ने छात्रों को आयुर्वेद के महत्व और इसके अनुसंधान के आधुनिक अवसरों के बारे में जानकारी दी।
स्थानीय प्रभाव और जागरूकता
कार्यक्रम का स्थानीय स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। कॉलेज के आसपास के लोगों और विद्यार्थियों ने यह समझा कि आयुर्वेद केवल प्राचीन चिकित्सा प्रणाली नहीं है, बल्कि यह आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में एक प्रभावी समाधान बन सकता है।
- शिक्षा पर असर: छात्रों को आयुर्वेद के गहन अध्ययन और इसके शोध अवसरों के प्रति जागरूक किया गया।
- स्वास्थ्य पर असर: स्थानीय लोगों में जड़ी-बूटियों और घरेलू औषधियों की उपयोगिता के प्रति रुचि बढ़ी।
- सामाजिक असर: योग और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने की प्रेरणा मिली, जिससे स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहन मिला।
आयुर्वेद दिवस और आँकड़े
भारत में आयुर्वेद स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुष मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, देशभर में लगभग आयुर्वेदिक अस्पताल और से अधिक औषधालय कार्यरत हैं।
पिछले वर्षों में आयुर्वेदिक औषधियों का वैश्विक निर्यात
पिछले वर्षों में भारत से आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो 2014-2020 के बीच सालाना 5.9% की वृद्धि से लेकर 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में 5.86% से अधिक की वृद्धि दर्ज करने तक है, जब कुल आयुष और हर्बल निर्यात मूल्य 689.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। कोविड-19 महामारी के बाद 2019 की तुलना में 2020 में निर्यात में लगभग 45% की भारी वृद्धि देखी गई थी। तक बढ़ा है। इससे यह साबित होता है कि आयुर्वेद केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह विश्व स्तर पर स्वास्थ्य समाधानों में अपनी जगह बना रहा है।
जेएसएस नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणादायक साबित हुआ। आयुर्वेद दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारी परंपराएँ और प्राचीन ज्ञान आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी उतने ही कारगर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आयुर्वेद को वैज्ञानिक शोध और आधुनिक तकनीक के साथ मिलाया जाए, तो यह आने वाले समय में वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र का अहम हिस्सा बन सकता है।
सलाह: जनता को चाहिए कि वे दैनिक जीवन में योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक आहार को अपनाकर स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाएँ।
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