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हरिद्वार, 1 सितंबर 2025 – उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में कनखल स्थित श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा में उदासीन संप्रदाय के प्रवर्तक भगवान श्री चंद्र जी का 531वां अवतरण दिवस भव्य आयोजन के साथ मनाया गया। इस अवसर पर अखाड़ा में पंचदेव पूजा का विशेष आयोजन किया गया और भगवान श्री चंद्र के जीवन, उनके विचारों और सामाजिक समरसता के संदेश का प्रचार-प्रसार किया गया।
इस अवसर पर सोनीपत के सांसद और नगर पालिका हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि उदासीन संप्रदाय सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान देता रहा है। उन्होंने कहा कि श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा इस परंपरा का प्रमुख केंद्र है और इसका महत्व कभी नहीं भुलाया जा सकता। सतपाल ब्रह्मचारी ने यह भी उल्लेख किया कि भगवान श्री चंद्र जी ने समाज में व्याप्त सामाजिक विषमताओं को दूर करने और सभी वर्गों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया।
श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा की स्थापना 1825 ईस्वी में बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त पर हर की पैड़ी, हरिद्वार में बाबा प्रीतम दास महाराज द्वारा की गई थी। इस अखाड़ा के इष्ट और मार्गदर्शक आचार्य श्री गुरु नानक देव के जेष्ठ पुत्र भगवान श्री चंद्र जी हैं। आज उनका 531वां अवतरण दिवस कनखल राजघाट में बड़े उत्साह और श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह अखाड़ा में हवन पूजन से हुई, जिसके पश्चात श्री चंद्राचार्य चौक रानीपुर में भगवान श्री चंद्र जी के विग्रह में विधिपूर्वक पूजन किया गया।

अखाड़े के कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज ने कहा कि भगवान श्री चंद्र जी ने सामाजिक समरसता के लिए अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने जातिवाद, क्षेत्रवाद और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अलख जगाई। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, जातियों और विभिन्न समुदायों को एक कर उदासीन संप्रदाय में सम्मिलित किया और गांव-गांव जाकर अपने विचारों का प्रचार किया।
कारोबारी महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि उदासीन का अर्थ ब्रह्मा में आसीन या समाधिस्थ होना है। यह अखाड़ा सनातन धर्म की परंपराओं का पालन करता है और पंचदेव पूजा का अनुसरण करता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री चंद्र जी के द्वारा स्थापित यह परंपरा आज भी समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक समरसता का संदेश फैलाती है।

महंत सूर्यांश मुनि महाराज ने कहा कि भगवान श्री चंद्र जी ने समाज की एकता और अखंडता के लिए निरंतर प्रयास किए। उनके विचार और कार्य आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने सभी वर्गों और समुदायों को एक सूत्र में जोड़कर उदासीन संप्रदाय के माध्यम से सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
मुकामी महंत दामोदर शरण दास महाराज ने बताया कि उदासीन आचार्य जगतगुरु श्री चंद्र जी महाराज लुप्तप्राय उदासीन संप्रदाय के पुन: प्रवर्तक हैं। उदासीन गुरुपरंपरा में उनका 165वां स्थान है। उनके गुरु पूज्य अविनाशमुनि उदासीन थे। उनकी आविर्भाव तिथि संवत 1551 भाद्रपद शुक्ला नवमी तथा निर्वाण तिथि संवत 1700 श्रावण शुक्ला पंचमी है।
महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा भगवान श्री चंद्र जी के विचारों और शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र है। अखाड़ा न केवल पंचदेव पूजा का पालन करता है, बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वाह भी करता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के साथ-साथ अखाड़ा समाज में नैतिक और सामाजिक जागरूकता फैलाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

इस अवसर पर अखाड़ा के प्रमुख महंतों में महंत हनुमान दास कारोबारी, महंत भक्त रामदास, महंत मंगल दास, महंत दामोदर शरण, महंत जयेंद्र मुनि, महंत निरंजन दास, महंत प्रेमदास, महंत सेवा दास, महंत विष्णु दास, महंत केवल्यानंद, महंत मुरलीदास सहित अन्य वरिष्ठ महंत उपस्थित थे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पंचायती श्री महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी, पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रामरतन गिरी, श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के कोठारी महंत जसविंदर सिंह शास्त्री और श्री निर्मल संतपुरा के अध्यक्ष संत जगजीत सिंह शास्त्री भी उपस्थित रहे।
राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति भी कार्यक्रम में उपस्थित थे, जिनमें विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, पतंजलि मेगा फूड पार्क के सीएमडी राम भरत, अखिलेश शिवपुरी, समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा, भाजपा नेता प्रमोद कुमार शर्मा, पूर्व अध्यक्ष संदीप गोयल, कनखल व्यापार मंडल के अध्यक्ष भगवत शरण अग्रवाल सहित अन्य लोग शामिल थे।
कार्यक्रम के दौरान अखाड़ा के महंतों ने भगवान श्री चंद्र जी के जीवन और शिक्षाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान श्री चंद्र जी ने समाज में धार्मिक और सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किए। उनके द्वारा स्थापित परंपराओं ने उत्तराखंड और पूरे देश में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम ने भगवान श्री चंद्र जी के जीवन और उनके सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक योगदान को व्यापक रूप से उजागर किया। पंचदेव पूजा और हवन समारोह के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं ने उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जयंती का आयोजन नहीं था, बल्कि भगवान श्री चंद्र जी के विचारों और उदासीन संप्रदाय की परंपराओं को जन-जन तक पहुंचाना था। महंतों ने उपस्थित लोगों को समाज में समरसता, नैतिकता और धार्मिक चेतना का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री चंद्र जी ने समाज के सभी वर्गों को समान दृष्टि से देखा और उनके द्वारा स्थापित मार्गदर्शन आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा उत्तराखंड में उदासीन संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यहाँ धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का निरंतर संचालन होता है। पंचदेव पूजा के आयोजन और हवन विधि से समाज में धार्मिक चेतना का प्रसार किया जाता है। इसके साथ ही समाज में सामाजिक समरसता, नैतिकता और सांस्कृतिक जागरूकता भी फैलाई जाती है।
कार्यक्रम का समापन भगवान श्री चंद्र जी के जीवन और उनके विचारों को याद करते हुए हुआ। महंतों और श्रद्धालुओं ने उनके शिक्षाओं को जीवन में अपनाने और समाज में लागू करने का संकल्प लिया। इस अवसर ने समाज में धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना को जागृत करने का काम किया।
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