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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
हरिद्वार के श्री मिथिलेश सनातन धर्म इंटर कॉलेज, खड़खड़ी शाखा में बाल दिवस के अवसर पर एक विशेष संगोष्ठी आयोजित की गई। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और उनके जीवन, विचार और आधुनिक भारत के निर्माण में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा हुई।
भारत में हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चों से विशेष लगाव था और बच्चे उन्हें स्नेहपूर्वक ‘चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे।
नेहरू ने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने पर हमेशा जोर दिया। इसी कारण बाल दिवस के अवसर पर देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सांसद सतपाल ब्रह्मचारी का संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, कांग्रेस के सोनीपत (हरियाणा) के सांसद और विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव–प्रबंधक सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा—
“पंडित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे। उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। औद्योगिक क्रांति से लेकर आत्मनिर्भर भारत की नींव तक, उन्होंने अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू कीं।” उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं और नेहरू द्वारा स्थापित किए गए सार्वजनिक उद्योगों को भारत की मजबूती का आधार बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय परिसर में पंडित नेहरू के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
विद्यालय प्रबंधन, शिक्षक, छात्र और अतिथियों ने उनके योगदानों को याद करते हुए भारत के विकास में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।
पंडित इंद्र मोहन गोस्वामी का वक्तव्य
श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा (पंजाब) नई दिल्ली के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, पंडित इंद्र मोहन गोस्वामी ने कहा कि नेहरू ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक संस्थान स्थापित किए, जिनमें शामिल हैं—
- IIT
- IIM
- NDA
- BHEL
- इसरो
- ओएनजीसी
- सेल
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
- उन्होंने कहा कि आज भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति इन्हीं संस्थानों के कारण अधिक मजबूत हुई है।
सुधीर कुमार गुप्ता का विचार
विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष, सुधीर कुमार गुप्ता ने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा, तकनीक, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और औद्योगिक विकास की जो मजबूत नींव नेहरू ने रखी, उसी पर आज का भारत खड़ा है।
उन्होंने कहा“नेहरू के विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे। उन्होंने देश को नई दिशा और नई सोच दी।” संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारत के इतिहास, स्वतंत्रता के बाद विकास की दिशा और नेहरू की दूरदृष्टि से परिचित कराना था।
इस कार्यक्रम का स्थानीय स्तर पर यह प्रभाव देखने को मिला—
- छात्रों में नेहरू के विचारों और योजनाओं को लेकर उत्सुकता बढ़ी
- शिक्षकों ने छात्रों को नेहरू के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक भारत के निर्माण में उनकी भूमिका समझाई
- विद्यालय में शैक्षणिक माहौल और अधिक प्रेरणादायक बना
- विद्यालय की प्रधानाचार्य मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि देश निर्माण में नेहरू के योगदान को समझना और उनसे प्रेरणा लेना आज के युवाओं के लिए आवश्यक है।
भारत में औद्योगिक और तकनीकी क्रांति की नींव 1950–60 के दशक में रखी गई थी।
इस दौरान लागू की गई पंचवर्षीय योजनाओं और सार्वजनिक उपक्रमों ने भारत को नई दिशा दी।
हालांकि प्रेस रिलीज़ में विशिष्ट आँकड़े उपलब्ध नहीं थे लेकिन इतिहासकारों के अनुसार, नेहरू के कार्यकाल के दौरान भारत ने
- औद्योगीकरण में तेज गति
- बड़े सरकारी उपक्रमों की स्थापना
- विज्ञान और तकनीक में आधारभूत ढांचे का निर्माण
किया, जो आज भी देश की प्रगति की रीढ़ है।
नेहरू के विचार आज भी मार्गदर्शक
बाल दिवस पर आयोजित यह संगोष्ठी केवल श्रद्धांजलि नहीं थी, बल्कि नेहरू के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम भी रही। कार्यक्रम का संदेश स्पष्ट था—आधुनिक भारत की नींव मजबूत विचारों, दूरदृष्टि और शिक्षा के महत्व पर आधारित है।
छात्रों को नेहरू के व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण की दिशा में उनके योगदान से प्रेरणा लेने की जरूरत है, ताकि भविष्य का भारत और अधिक सशक्त और प्रगतिशील बने।
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