"मथलाऊ गांव में गुलदार हमले के बाद वन विभाग दल और ग्रामीण निरीक्षण करते हुए।""मथलाऊ गांव में गुलदार हमले के बाद वन विभाग दल और ग्रामीण निरीक्षण करते हुए।"

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नई टिहरी जौनपुर विकासखंड के दसज्यूला पट्टी के ग्राम मथलाऊ में इन दिनों गुलदार का आतंक बढ़ता जा रहा है। बीते सप्ताह में गुलदार ने गांव के चार परिवारों की कुल छह बकरियों और एक गाय के बछड़े को निशाना बनाकर ग्रामीणों में दहशत फैला दी है। लगातार हो रहे हमलों से ग्रामीणों में भय का माहौल है और लोग अपने मवेशियों को जंगल में ले जाने से भी डरने लगे हैं।

ग्राम मथलाऊ में पिछले एक हफ्ते से गुलदार बार-बार मवेशियों पर हमला कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते शोर न मचाया जाता तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता था।

क्षेत्र में बढ़ते वन्यजीव हमले

टिहरी के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षों से वन्यजीवों की आवाजाही बनी रहती है। लेकिन हाल के वर्षों में मानव बस्तियों के नजदीक गुलदार की बढ़ती गतिविधियों ने चिंता बढ़ा दी है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि जंगलों में भोजन की कमी और मानव बस्तियों के विस्तार के कारण वन्यजीव अक्सर गांवों की ओर रुख कर लेते हैं। इससे घरेलू पशुओं पर हमले तेजी से बढ़े हैं।

ग्राम मथलाऊ निवासी विक्रम सिंह रावत, प्रेम सिंह रावत, सरोपी देवी और प्रताप सिंह रावत ने बताया कि वे शुक्रवार को अपने मवेशियों को जंगल की ओर चराने ले गए थे। जैसे ही मवेशी झाड़ियों के बीच बढ़े, घात लगाकर बैठे गुलदार ने एक बकरी पर झपट्टा मार दिया और कुछ ही मिनटों में उसे निवाला बना लिया।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि वहीं मौजूद लोगों ने शोर न मचाया होता, तो गुलदार और पशुओं को भी मार देता।
गुलदार इसी तरह पिछले एक सप्ताह में गांव की छह बकरियों और एक बछड़े को मार चुका है, जिससे चार परिवारों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

ग्रामीणों में भय और आक्रोश

लगातार हो रहे हमलों से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। लोग रात में घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगे हैं। कई परिवार अब अपने पशुओं को खुले में नहीं छोड़ रहे हैं।

ग्रामीणों के अनुसार:

“गुलदार कई दिनों से आसपास मंडरा रहा है। हम जान जोखिम में डालकर मवेशी चराने जा रहे हैं।”

वन विभाग की प्रतिक्रिया

ग्राम प्रधान पूलम सिंह रावत ने वन विभाग से मांग की है कि प्रभावित परिवारों को मानक के अनुसार मुआवजा राशि प्रदान की जाए और क्षेत्र में पिंजरा लगाया जाए ताकि गुलदार को पकड़ा जा सके।

जौनपुर रेंज अधिकारी लतिका उनियाल ने कहा:

“पीड़ित परिवारों से 24 घंटे के अंदर सूचना प्राप्त होने पर मानक के अनुसार तत्काल मुआवजा दिया जाएगा।”
उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है और आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।

ग्रामीण जीवन पर बड़ा असर

गुलदार के बढ़ते हमलों का सीधा प्रभाव ग्रामीणों की आजीविका पर पड़ रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन ही कई परिवारों का मुख्य सहारा है। बकरियों और गाय का बछड़ा मरने से इन परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा भी बड़ी चिंता बन गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि:

  • पशुधन की सुरक्षा मुश्किल हुई है
  • रात में घूमने-फिरने में दिक्कत बढ़ी
  • महिलाएँ अकेले जंगल जाने से डर रही हैं

पहाड़ों में बढ़ते गुलदार हमले

उत्तराखंड के कई जिलों में पिछले तीन वर्षों में गुलदार के हमलों में 25–30% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
टिहरी, पौड़ी, चमोली और नैनीताल जिले इन हमलों के हॉटस्पॉट माने जाते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि मानव–वन्यजीव संघर्ष बढ़ने का कारण तेजी से हो रहा शहरीकरण और जंगलों के बीच संसाधनों की कमी है।

गुलदार की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए ग्रामीण लगातार सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वन विभाग द्वारा पिंजरा लगाए जाने और निगरानी बढ़ाने से निश्चित रूप से राहत मिलेगी।
जब तक गुलदार को पकड़कर दूर के जंगलों में नहीं छोड़ा जाता, तब तक ग्रामीणों में भय का माहौल बना रहेगा।

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By ATHAR

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