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देहरादून रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में घूम रहे 11 वर्षीय बालक को जीआरपी पुलिस ने सुरक्षित संरक्षण में लेकर उसके परिवार से मिलवाया। बालक घर से नाराज होकर स्टेशन चला आया था। जीआरपी की तत्परता से परिजनों ने राहत की सांस ली।
पिछले कुछ वर्षों में घर पर मनमुटाव, तनाव, डांट या सोशल इन्फ्लुएंस के कारण कम उम्र के बच्चों द्वारा घर छोड़ने की घटनाएँ बढ़ी हैं। कई बार ये बच्चे खो जाते हैं या गलत संगत में फँस जाते हैं, जिससे गंभीर अपराधों का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। रेलवे स्टेशन ऐसे मामलों में अक्सर बच्चों के मिलने का प्रमुख स्थान बनते हैं, इसलिए जीआरपी और आरपीएफ नियमित रूप से चेकिंग कर ऐसे बच्चों की पहचान करती है।
08 नवंबर 2025 को जीआरपी देहरादून के हेड कांस्टेबल बलदेव सिंह और हेड कांस्टेबल अरविंद चौहान स्टेशन पर चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान प्लेटफॉर्म नंबर-02 आउटर पर एक 11 वर्षीय बालक संदिग्ध व लावारिस स्थिति में घूमता दिखाई दिया। क्योंकि बच्चा नाबालिग था, पुलिस ने उसे सुरक्षित स्थान पर लाने का निर्णय लिया और महिला हेल्प डेस्क में म0का0 निर्मला चौहान की निगरानी में बैठाया गया। पूछताछ में बच्चे ने बताया कि वह बंजारावाला, देहरादून का रहने वाला है और घरवालों से नाराज होकर स्टेशन पहुँच गया था।
बातचीत के दौरान बच्चे ने पिता के संपर्क नंबर की जानकारी दी, जिस पर संपर्क कर परिजनों को सूचना दी गई। पिता ने बताया कि बच्चा 07 नवंबर 2025 की शाम से लापता था जिसकी शिकायत थाना पटेलनगर में दर्ज कराई गई थी। थाना जीआरपी ने तुरंत पटेलनगर पुलिस को सूचना दी। बाद में पुलिस कर्मी और बच्चे के पिता स्टेशन पहुँचे। बच्चे ने भी अपने पिता को पहचान लिया, जिसके बाद पुलिस ने कोड ऑफ कस्टडी का पालन करते हुए बच्चे को सकुशल सुपुर्द कर दिया।
जनता और रेलवे अधिकारियों ने की सराहना
इस घटना ने दिखाया कि रेलवे स्टेशन पर सक्रिय पुलिसिंग कितनी जरूरी है।
- माता-पिता में चिंता का विषय: बढ़ते गुमशुदा बच्चों के मामलों से अभिभावक चिंतित हैं।
- यात्रियों में सुरक्षा का भरोसा: इस कार्रवाई से रेलवे यात्रियों में सुरक्षा का भाव मजबूत हुआ है।
- बच्चों की काउंसलिंग की जरूरत: विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों में परिवार और स्कूल स्तर पर काउंसलिंग की आवश्यकता है।
- जीआरपी की सतर्कता और संवेदनशीलता के चलते बच्चे को किसी संभावित खतरे से बचाया जा सका।
- पिछले वर्ष जीआरपी ने कितने बच्चों को रेस्क्यू किया?]
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन औसतन बच्चे घर छोड़कर भटक जाते हैं।
- देहरादून रेलवे स्टेशन से हर महीने ऐसे मामले सामने आते हैं।
- ये आंकड़े बताते हैं कि लगातार मॉनिटरिंग और पब्लिक व पुलिस की संयुक्त जागरूकता बेहद आवश्यक है।
जीआरपी देहरादून की इस तत्परता ने न केवल एक बच्चे को सुरक्षित उसके परिवार तक पहुँचाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि पुलिस आम जनता, विशेषकर बच्चों की सुरक्षा को लेकर सजग है।
अभिभावकों और समाज को चाहिए कि बच्चों की भावनाओं और व्यवहार पर ध्यान दें और किसी भी समस्या पर संवाद के जरिए समाधान खोजें — ताकि बच्चे ऐसी परिस्थितियों में घर छोड़ने जैसा कदम न उठाएँ।
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