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उत्तराखंड अब केवल देवभूमि के नाम से ही नहीं जाना जा रहा, बल्कि खेलभूमि के रूप में भी अपनी एक नई पहचान बना रहा है। राष्ट्रीय खेल दिवस 2025 के अवसर पर देहरादून परेड ग्राउंड स्थित बहुउद्देश्यीय क्रीड़ा हाल में आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अपनी अलग पहचान बना ली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेजर ध्यानचंद के आदर्शों पर चलते हुए देश खेल शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और उत्तराखंड भी इस बदलाव का अभिन्न हिस्सा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेलों के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा, नए विचार और नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है। अब खिलाड़ी केवल भाग लेने के लिए मैदान में नहीं उतरते, बल्कि पदक जीतने और तिरंगा लहराने के इरादे से खेलते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खेलों के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे देश का मान बढ़ाया। पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों बाद कांस्य पदक जीतकर भारतीय हॉकी का गौरव वापस दिलाया। वहीं पेरिस ओलंपिक 2024 में भी भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें नीरज चोपड़ा ने रजत पदक, मनु भाकर ने दो कांस्य पदक, स्वप्निल कुसले और अमन सेहरावत ने कांस्य पदक जीतकर भारत की खेल शक्ति को प्रमाणित किया। इसके अलावा पुरुष हॉकी टीम ने लगातार दूसरा कांस्य पदक जीतकर यह साबित किया कि भारतीय हॉकी अब फिर से विश्व में अपना दबदबा कायम करने की ओर अग्रसर है। एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में ज्योति याराजी, गुलवीर सिंह और अविनाश सबले जैसे खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक हासिल करके देश और उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

उत्तराखंड ने भी हाल के वर्षों में खेलों में बड़ी उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। राज्य ने 38वें राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन कर पूरे देश को यह संदेश दिया कि यह पहाड़ी राज्य अब विश्वस्तरीय खेल आयोजन कराने की क्षमता रखता है। इस आयोजन में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने 103 पदक जीतकर 7वां स्थान प्राप्त किया, जो राज्य के खेल इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि रही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह उपलब्धि साबित करती है कि उत्तराखंड खेलों के क्षेत्र में अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में यह राज्य पूरे देश का खेल हब बनकर उभरेगा।
राज्य सरकार खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने में निरंतर कार्य कर रही है। हिमाद्रि आइस रिंक का जीर्णोद्धार कर इसे ओलंपिक मानक के अनुरूप तैयार किया गया है। इस आइस रिंक में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा चुकी हैं, जो भारत के लिए शीतकालीन खेलों का नया अध्याय है। इसके अलावा, परेड ग्राउंड में एथलेटिक सिंथेटिक ट्रैक और फुटबॉल ग्राउंड में सिंथेटिक टर्फ बनाने की घोषणा की गई है। सरकार का उद्देश्य है कि खिलाड़ियों को घर के पास ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिलें, ताकि उन्हें बाहर जाने की आवश्यकता न पड़े और प्रतिभाएं राज्य में ही विकसित हो सकें। राज्य सरकार का “स्पोर्ट्स लेगेसी प्लान” एक दूरगामी योजना है, जिसके तहत आठ बड़े शहरों में 23 खेल अकादमियां स्थापित की जाएंगी। इनमें हर साल करीब 920 विश्वस्तरीय एथलीट और 1000 अन्य खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। हल्द्वानी में उत्तराखंड का पहला खेल विश्वविद्यालय खोला जा रहा है, जबकि लोहाघाट में महिला स्पोर्ट्स कॉलेज स्थापित करने की योजना है। इस तरह की पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य की प्रतिभाओं को न केवल उचित प्रशिक्षण मिले, बल्कि वे शिक्षा और खेल दोनों में आगे बढ़ें।

खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने कई नई योजनाएं लागू की हैं। मुख्यमंत्री खेल विकास निधि, मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी योजना और खेल किट योजना जैसी पहलें खिलाड़ियों को आर्थिक और मानसिक मजबूती प्रदान कर रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा आवासीय खेल कॉलेजों में खिलाड़ियों को निशुल्क शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधा दी जा रही है। हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में भाग लेने वाले मनदीप कौर, अमीषा रावत और मनोज सरकार को 50-50 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई, जबकि शौर्य सैनी और अभिनव देशवाल को 30-30 लाख रुपये दिए गए।

मुख्यमंत्री ने समारोह में बताया कि अब तक 250 से अधिक खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को लगभग 16 करोड़ रुपये की सम्मान राशि वितरित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना के अंतर्गत 3900 खिलाड़ियों को 1500-1500 रुपये प्रतिमाह की राशि सीधे डीबीटी के माध्यम से भेजी गई है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 2199 खिलाड़ियों को लगभग 5.5 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है। सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को विभागीय नियुक्ति पत्र देकर उनके भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए। राज्य की खेल मंत्री रेखा आर्या ने भी कहा कि उत्तराखंड ने राष्ट्रीय खेलों में नए मानक स्थापित किए हैं और आने वाले समय में हर घर से खिलाड़ी निकलेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार का सपना है कि उत्तराखंड के खिलाड़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तिरंगा लहराएं।

उत्तराखंड के खेलों का यह नया दौर केवल खिलाड़ियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य की नई पहचान का निर्माण कर रहा है। पर्यटन और खेल को जोड़कर सरकार राज्य को खेल पर्यटन का केंद्र भी बनाना चाहती है। बर्फ से ढके पहाड़ों, प्राकृतिक मैदानों और सुंदर वादियों से भरे इस राज्य में साहसिक खेलों की अपार संभावनाएं हैं। स्कीइंग, आइस हॉकी, ट्रैकिंग और अन्य शीतकालीन खेलों को प्रोत्साहन देकर उत्तराखंड को विश्वस्तरीय खेल पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है। इस तरह उत्तराखंड की पहचान अब केवल तीर्थाटन और प्राकृतिक सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य खेलों में भी अग्रणी बनने की ओर बढ़ रहा है। नई खेल नीतियां, खिलाड़ियों को दी जा रही सुविधाएं, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकार की दूरदर्शी योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि आने वाले समय में उत्तराखंड न केवल भारत का बल्कि पूरी दुनिया का एक बड़ा खेल केंद्र बनकर उभरेगा।

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