मध्य हिमालय की सांस्कृतिक विविधता और इतिहास दर्शन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्नइतिहास दर्शन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

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रिपोर्टर फरमान खान

लक्सर: हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज, रायसी के इतिहास विभाग द्वारा “ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में मध्य हिमालय की विविध सांस्कृतिक धाराएं और इतिहास दर्शन” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी में विशेषज्ञों की भागीदारी

इस संगोष्ठी में शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने हिमालयी समाज की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं पर अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी को उत्तराखंड इतिहास संकलन समिति का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।

मुख्य अतिथि व वक्ताओं के विचार

मुख्य अतिथि प्रो. के.के. पंत (निदेशक, IIT रुड़की) ने मध्य हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर एवं इसके वैज्ञानिक व ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला।विशेष आमंत्रित अतिथि डॉ. सीमा मिश्रा (एसोसिएट प्रोफेसर, BHU) ने हिमालयी समाज की सांस्कृतिक विविधताओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की।मुख्य वक्ता डॉ. जसपाल खत्री (प्रांत बौद्धिक प्रमुख, RSS उत्तराखंड) ने इतिहास दर्शन को सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक प्रवाहों के संदर्भ में व्याख्यायित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं संचालन

संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. के.पी. सिंह ने की, जबकि डॉ. हर्ष कुमार दौलत ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अभिनव तिवारी और डॉ. अजीत राव ने किया।

संगोष्ठी सार वाचन: डॉ. सुरजीत कौर

संचालन: डॉ. वर्षा रानी, डॉ. नेहा, डॉ. प्रशांत, डॉ. रणवीर

संगोष्ठी का निष्कर्ष संगोष्ठी में प्रस्तुत शोधपत्रों और चर्चाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि मध्य हिमालय की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास दर्शन के संरक्षण की आवश्यकता है। इससे पारंपरिक ज्ञान, लोक परंपराएं और ऐतिहासिक धरोहरें सुरक्षित रह सकेंगी।

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By Aman

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