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हरिद्वार, 10 अगस्त 2025 —
उत्तराखंड में आज का दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। सुबह का सूरज जैसे ही आसमान में निकला, हरिद्वार की धरती पर हलचल मच गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने पूरे प्रदेश को हिला दिया — 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय, आदर्श संस्कृत ग्राम भोगपुर डोईवाला से वर्चुअल माध्यम द्वारा इस योजना की औपचारिक शुरुआत हुई। लेकिन असली रंग जनपद हरिद्वार के नूरपुर पज्जनहेड़ी में दिखा, जहां वेलकम फॉर्म में आयोजित समारोह में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
हरिद्वार में जुटा जनसमूह, माहौल में गूंजा ‘संस्कृतम् जयते’

समारोह का नजारा किसी मेले से कम नहीं था। मंच पर दीप प्रज्वलित होते ही माहौल में संस्कृत के मंत्र गूंज उठे।
मुख्य अतिथि, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने मंच से ऐलान किया —
“आज का दिन प्रदेश के लिए गौरव का दिन है। हम देश का पहला राज्य बन चुके हैं, जहां सभी जनपदों में आदर्श संस्कृत ग्रामों का आगाज़ हुआ है।”
उनके शब्दों में जोश साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा, “संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की धड़कन है। इसे आम जन की भाषा बनाने का समय आ गया है।”
गांव-गांव पहुंचेगी संस्कृत की लहर

नूरपुर पज्जनहेड़ी को हरिद्वार का आदर्श संस्कृत ग्राम घोषित किया गया है। यहां के जनप्रतिनिधि पहले से ही संस्कृत को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं। अब गांव में तीन-चार केंद्र खोले जाएंगे, जहां हर व्यक्ति को सामान्य बोलचाल की संस्कृत सिखाई जाएगी।
स्वामी यतीश्वरानंद ने मंच से भरोसा दिलाया —
“संस्कृत प्रचार-प्रसार में जिस भी सहयोग की जरूरत होगी, हम पीछे नहीं हटेंगे।”
मेयर किरण जैसल का संदेश — “सबको मिलकर चलना होगा”
हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
“अगर हम सब मिलकर संस्कृत को अपनाएं, तो आने वाले कुछ सालों में यह गांव-गांव में बोली जाएगी।”
शिक्षा जगत की अपील — ‘संस्कृत के बिना संस्कृति अधूरी’

कार्यक्रम में डॉ. करुणा गुप्ता ने स्पष्ट कहा — “संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसे बचाना हमारी भारतीय संस्कृति और ज्ञान की परंपरा को बचाना है।” छात्रों का उत्साह — ‘हम भी सीखेंगे संस्कृत’ कार्यक्रम में बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। स्वागत गीत से लेकर मंच संचालन तक, हर जगह संस्कृत की झलक दिखाई दी। डॉ. प्रकाश चंद्र जोशी ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया और बच्चों को संस्कृत में संवाद करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कौन-कौन रहे मौजूद?
इस मौके पर अपर जिलाधिकारी पी आर चौहान, मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित चौहान, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुशील चौहान, प्रधानाचार्य सर्वेश्वर तिवारी, प्राचार्य डॉ. चंद्रभूषण शुक्ला, प्रभारी निर्देशक विद्यासागर व्यास, ग्राम प्रधान प्रदीप चौहान, जमालपुर कला के ग्राम प्रधान हरेंद्र चौधरी, मास्टर धर्मेंद्र, प्राचार्य राजेंद्र प्रसाद पुनेठा, राजेंद्र गोनियाल, जिला पंचायत सदस्य सोहनवीर पॉल, प्रधानाचार्य राकेश कुमार, और सैकड़ों ग्रामवासी व विद्यार्थी मौजूद रहे।
प्रदेश में फैलेगा भाषा का जनआंदोलन
इस पहल से सिर्फ हरिद्वार ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में भाषा का एक नया आंदोलन शुरू होगा। सभी 13 आदर्श संस्कृत ग्राम आने वाले समय में मॉडल बनेंगे, जहां से बाकी गांव प्रेरणा लेंगे।
“क्या आपके गांव में भी संस्कृत बोली जाती है? अगर हां, तो इस खबर को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। आइए, मिलकर संस्कृत को घर-घर पहुंचाएं।”
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