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पटना बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार 30 सितंबर को पटना का दौरा करेंगे। उनके साथ अन्य चुनाव आयुक्त भी इस दौरे में शामिल रहेंगे।
इस दौरान राज्य में चुनाव तैयारियों की समीक्षा की जाएगी और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की अंतिम सूची भी जारी कर दी जाएगी। चुनाव आयोग की इस अहम बैठक और निरीक्षण के एक से दो दिन बाद ही बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा होने की संभावना है।
इस बार राज्य में दिवाली और छठ पूजा 18 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच मनाई जाएगी। ऐसे में चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखें इन त्यौहारों के बाद ही तय करने का संकेत दिया है। आयोग का लक्ष्य है कि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए आयोग नवंबर के पहले पखवाड़े में मतदान कराने की योजना पर काम कर रहा है। अनुमान है कि 5 से 15 नवंबर के बीच 3 चरणों में मतदान कराया जाएगा और 20 नवंबर तक चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव 2020 में तीन चरणों में संपन्न हुआ था। तब पहला चरण 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर, दूसरा चरण 3 नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरा चरण 7 नवंबर को 78 सीटों पर मतदान हुआ था। नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए गए थे। उससे पहले 2015 के चुनाव पांच चरणों में कराए गए थे। इस बार भी चुनाव आयोग तीन चरणों में ही मतदान प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश कर रहा है ताकि प्रशासनिक प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर रखी जा सके।
बिहार में इस बार लगभग 7 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। चुनाव आयोग मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन पर तेजी से काम कर रहा है ताकि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए। राजनीतिक दलों ने भी बूथ स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। मतदाता सूची के फाइनल होने के बाद प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी।
2020 के चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। इनमें जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 43, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 74, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 4 और विकासशील इंसान पार्टी को 4 सीटें मिली थीं। दूसरी ओर महागठबंधन ने 110 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 75, कांग्रेस को 19 और वामपंथी दलों को 16 सीटें मिली थीं।
इस बार का चुनाव कई मायनों में खास होगा। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी सक्रिय है और चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। जनसुराज पार्टी के प्रवेश से त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बढ़ गई है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर करने के लिए महागठबंधन पूरी ताकत से जुटा है। आरजेडी और कांग्रेस के अलावा वाम दल भी इस चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। भाजपा और जदयू की ओर से भी बड़े नेताओं की रैलियों और जनसभाओं की योजना तैयार की जा रही है।
चुनाव आयोग की तैयारी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नक्सल प्रभावित इलाकों और संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की योजना बनाई जा रही है। आयोग का मकसद है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो। प्रशासनिक अधिकारियों को भी मतदाता सूची में किसी तरह की गड़बड़ी रोकने और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।
बिहार के मतदाताओं के लिए यह चुनाव कई नई चुनौतियां और उम्मीदें लेकर आएगा। राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन, सीट बंटवारा और चुनावी घोषणापत्र में विकास योजनाएं इस बार के मुख्य मुद्दे होंगे। बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याएं फिर से चुनावी बहस के केंद्र में रहने की संभावना है।
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