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टिहरी जनपद के भिलंगना क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को लेकर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। घनसाली स्वास्थ्य जन संघर्ष मोर्चा के बैनर तले ग्रामीणों ने स्वास्थ्य मंत्री, सांसद और विधायक के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती और मृत महिलाओं के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की।
भिलंगना की स्वास्थ्य व्यवस्था पर लंबे समय से सवाल
भिलंगना ब्लॉक का स्वास्थ्य तंत्र बीते कई वर्षों से लचर हालत में है। ग्रामीणों के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। यहां न तो पर्याप्त चिकित्सक हैं, न ही जरूरी उपकरण। कई बार इस समस्या को प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सामने उठाया गया, लेकिन ठोस समाधान अब तक नहीं मिला।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते कई बार गंभीर हालात बन जाते हैं। हाल ही में प्रसव के बाद दो महिलाओं की मौत ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।
आठ दिनों से चल रहा धरना, शनिवार को पुतला दहन
घनसाली स्वास्थ्य जन संघर्ष मोर्चा के बैनर तले ग्रामीण पिछले आठ दिनों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिलखी में धरना दे रहे हैं। शनिवार को उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सांसद मालाराज्य लक्ष्मी शाह और विधायक शक्ति लाल शाह का पुतला फूंका।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर भिलंगना क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। उनका कहना है कि जब तक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं होगा और मृतक महिलाओं के परिजनों को 20–20 लाख रुपए का मुआवजा नहीं दिया जाएगा, आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार की चुप्पी पर नाराज़गी
प्रदर्शन के दौरान लोगों ने कहा, “डॉक्टरों की भारी कमी के कारण हमें इलाज के लिए श्रीनगर, देहरादून या ऋषिकेश जाना पड़ता है। कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। सरकार को अब हमारी पीड़ा समझनी होगी।”
जनता परेशान, गर्भवती महिलाएँ सबसे अधिक प्रभावित
स्थानीय लोगों के अनुसार, भिलंगना और आसपास के इलाकों में गर्भवती महिलाएँ सबसे अधिक प्रभावित हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन और प्रशिक्षित डॉक्टरों की अनुपलब्धता के चलते प्रसव के दौरान जटिलताएँ बढ़ रही हैं।
इसके अलावा, छोटे बच्चों और बुजुर्गों की बीमारियों का उपचार करने के लिए भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक छोटे से इलाज के लिए उन्हें 100 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है, जो आर्थिक और शारीरिक रूप से भारी पड़ता है।
स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ती खाई
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार (संदर्भ हेतु Placeholder “”), भिलंगना ब्लॉक में स्वीकृत डॉक्टरों की संख्या “” है, जबकि कार्यरत मात्र “” हैं।
2018 से अब तक क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कई बार आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन सुधार नहीं हुआ। इससे पहले 2022 में भी ग्रामीणों ने धरना दिया था, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा।
सुधार की उम्मीद में संघर्ष जारी
भिलंगना क्षेत्र के लोग अब ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं होती और बुनियादी सुविधाएँ बहाल नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
जनता की उम्मीद है कि सरकार संवेदनशील रुख अपनाकर भिलंगना के ग्रामीणों को राहत देगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
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