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उत्तराखंड में किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन (तोमर गुट) ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। यूनियन ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास कूच का ऐलान किया है, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों के शामिल होने की संभावना है। पंचायत में किसानों ने गन्ना मूल्य, बकाया भुगतान और कई अन्य मुद्दों पर सरकार के प्रति नाराज़गी जताई।
भारत में कृषि हमेशा से आर्थिक और सामाजिक ढांचे की रीढ़ रही है। बावजूद इसके, किसानों की लागत बढ़ती रही है, जबकि आय स्थिर या कम होती गई है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खासकर गन्ना किसानों की स्थिति लंबे समय से विवाद का केंद्र रही है। राज्य सरकारें हर साल गन्ना समर्थन मूल्य (SAP) तय करती हैं, लेकिन किसान यूनियनें लगातार अधिक मूल्य की मांग करती रही हैं। भाकियू (तोमर गुट) पहले भी कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व कर चुकी है और इस बार भी उसकी मांगें किसान हितों के केंद्र में हैं।
पंचायत?
सोमवार को सहसपुर क्षेत्र के महमूद नगर शंकरपुर में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मुस्तकीम के आवास पर भाकियू तोमर की पंचायत आयोजित हुई।
13 दिसंबर 2025
स्थान: मुख्यमंत्री आवास, उत्तराखंड
पंचायत में उठे मुख्य मुद्दे
भाकियू तोमर गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव तोमर ने सभा को संबोधित करते हुए निम्न प्रमुख मुद्दे उठाए:
- गन्ने का मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए
- किसानों का लंबित बकाया भुगतान तुरंत किया जाए
- पहाड़ी क्षेत्र के किसानों को कृषि उपकरण मुफ्त दिए जाएँ
- किसानों को 60 वर्ष के बाद 10,000 रुपये मासिक पेंशन
- पहाड़ी किसानों को मंडी तक ट्रांसपोर्ट सुविधा
- इन सबके अलावा यूनियन ने 24 सूत्री मांगों का मसौदा तैयार किया है
- सभा में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और आंदोलन को सफल बनाने का संकल्प लिया।
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव तोमर ने कहा:
जब तक गन्ने का मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल नहीं होगा, तब तक किसान खुशहाल नहीं हो सकता। उत्तराखंड सरकार ने केवल 30 रुपये की बढ़ोतरी की है, जो नाकाफी है।
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के बकाया भुगतान में देरी ने खेतिहर परिवारों को आर्थिक संकट में धकेल दिया है।
किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर
गन्ना किसानों का कहना है कि बढ़ती लागत और कम मूल्य के चलते खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। बकाया भुगतान में देरी से किसान बीज, खाद और उपकरण खरीदने में भी असमर्थ हो जाते हैं।
13 दिसंबर के कूच के चलते स्थानीय बाजारों और यातायात पर असर पड़ सकता है। बड़ी भीड़ के कारण:
- मुख्य मार्गों पर जाम
- सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
- बाजारों में भीड़भाड़
- भीड़भाड़ की स्थिति में स्कूल और कॉलेजों में गमन-आगमन प्रभावित हो सकता है। हालांकि प्रशासन द्वारा दिशा-निर्देश अभी जारी नहीं किए गए हैं।
गन्ना मूल्य में अंतर — उत्तराखंड बनाम उत्तर प्रदेश
- उत्तर प्रदेश: रुपये वृद्धि
- उत्तराखंड: सिर्फ 30 रुपये वृद्धि
- भाकियू तोमर पहले भी कई बार दिल्ली, सहारनपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े आंदोलन कर चुका है।
- 2021–22 में हुए किसान आंदोलन ने बड़े पैमाने पर नीति निर्माण को प्रभावित किया था।
- इस बार भी इसी तरह के असर की आशंका जताई जा रही है।
- किसानों का कहना है कि दोनों राज्यों की लागत लगभग समान है, लेकिन समर्थन मूल्य में अंतर बढ़ता जा रहा है।
13 दिसंबर को होने वाला भाकियू तोमर का सीएम आवास कूच राज्य की कृषि नीति के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है। किसानों की 24 सूत्री मांगें ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े बुनियादी सवाल उठाती हैं। अब देखना यह है कि सरकार आंदोलन से पहले किसानों से संवाद स्थापित करती है या हालात और उग्र हो सकते हैं।
जनता से अनुरोध है कि कूच के दिन यातायात और सुरक्षा सलाहों का पालन अवश्य करें।
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